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________________ अनुकम्पा री चौपई २२५ ३. गाड़ी जमीकन्द से भरी है । उसमें अनन्त जीव है। उन जीवों के चार पर्याप्तियां और चार प्राण हैं । मारने पर उन्हें कष्ट होता है, ऐसा भगवान ने कहा है । ४. सचित्त पानी के मटके (बड़े घड़े) भरे हैं । उनमें बहुत सारे जीव हैं । अनछाना पानी है। लटें, नीलण - फूलण आदि बहुत हैं । उनमें भगवान ने अनन्त जीव बताए हैं। ५. अकुरडी में भीनी खाद पड़ी है । उसमें बहुत लटें हैं। गिण्डोला और गधियां भी हैं। उसमें अनेक जीव तिलमिल कर रहे हैं। अपने कृत कर्मों ने ही उन्हें यहां पटका है 1 ६. किसी जगह चूहे अधिक हैं । वे इधर-उधर दौड़ रहे हैं। थोड़ा सा शब्द सुनते ही वे चारों ओर भाग जाते हैं । ७. गुड़, चीनी आदि मिष्ठान्न पर अनेक जीव मंडरा रहे हैं। छोटी-बड़ी मक्खियां एवं मक्खे फिर रहे हैं और वे परस्पर एक दूसरे पर उछलते है । ८-९. तालाब देखकर भैंसें आती हैं । धान्य के ऊपर बकरे आते हैं। गाड़ी पर बैल सीधे आते हैं। मटकी पर गाय खड़ी है। पक्षी कूड़े के ढेर पर चुग रहे हैं । चूहों के पीछे बिल्ली जा रही है । मक्खियों को मक्खे पकड़ रहे हैं। अब साधु किसे बचाए और किसे छुड़ाए ? | १०. भैंसों को ललकारने से तालाब में रहे सब जीवों के साता हो जाती है । बकरों को दूर कर देने से अण्डे आदि जीव बच जाते हैं। ११. बैलों को थोड़ा सा ललकारने से तो अनन्तकाय के जीव मरने से बच जाते हैं। पानी और फूंहरा आदि जीव कैसे मरेंगे, यदि गाय को नजदीक नहीं आने देंगे। १२. यदि पक्षियों को उड़ा दिया जाए तो लटें और गिण्डोला आदि जीव सकुशल रह जाते हैं। यदि बिल्ली को छिछकार कर भगा दिया जाए तो चूहों के घर में शोक नहीं होगा ।
SR No.032415
Book TitleAcharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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