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दूहा
ने
१. अणुकंपा
जिणवर
आदरे, कीजो घणा धर्म माहिली, समकत पाय
जतन। रतन॥
ना
२. गाय
तिम
भैस आक थोहर नों, ए च्यारूंई अणुकंपा जांणजों, राखे मन में
दूध। सूध॥
करे
३. आक दूध पीधां
सावध अणुकंपा
थकां, कीयां,
जुदा पाप
जीव काय। कर्म बंधाय॥
४. भोलेंई
कीजों
मत अंतर
भूलजों, पारखा, ज्यूं
अणुकंपा सीझें
रे आतम
नाम। काम॥
५. अणुकंपा
सावध
में निरवद
आज्ञा, ओळखों,
तीथंकर सूतर
नी स्हांमों
होय। जोय॥
ढाल : १
(लय - समकित वमियो नन्दण मणीया रे)
आ अणुकंपा जिण आगन्या में।। १. मेघ कमर हाथी रा भव में, श्री जिण भाखी दया दिल आई।
उंचो पग राख्यो सुसीयों न मास्यों, आ करणी श्री वीर सराई।
२.
कष्ट सह्यों तिण पाप सूं डरतें, मन दिढ़ सेंठी राखी तिण काया। बलता जीव दावानल जांणी, सूंड सूं गिर गिर बारें न ल्याया।
आ अणुकंपा जिण आगन्या में।