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आठम चौदश आदि पर्व-तिथिदिनोमां गामनां सर्व देहराओमा रहेली जिनप्रतिमाओ अने पोताना तथा बीजा उपाश्रयोमा रहेला सर्व साधुओने पर्याय लघु साधुओओ वंदन करवू जोइये, जो न करे तो ते साधु प्रायश्चित्तनो भागी थाय.
___ महानिशोथ सूत्रमाथी .पण चैत्य तीर्थ अने तीर्थोमां भराता मेलाओनी सूचना मले छे.' आ सर्व जोतां अटलुं तो निश्चित छे के जैनोमां तीर्थयात्रा अने प्रतिमापूजानो रिवाज घणो ज जूनो पुराणो छे, तीर्थ तरीके प्रसिद्ध थयेल स्थानोर्मा भाविक जैनो घणा दूर दूरना देशो थकी संघो लेइ जता अने तीर्थाटन करी पो. तानी धार्मिक श्रद्धाने सफल करता, पोताना गाम नगरोनां चैत्योने ते हमेशां भेटता, चैत्यो अधिक वा समय आछो मलतां नगरनां सर्व चैत्योनी यात्रा नित्य न थती तो छेवटे आठम चउदश जेवा खास धार्मिक दिवसोमां तो पूर्वोक्त यात्रा अवश्य करता ज, कालान्तरे आ प्रवृत्तिमां पण मंदता न पेसी जाय अटला माटे श्रुतधर पूज्य आचार्यो नियम घडयो के आठम चउदशे तो सर्व चैत्योनो वंदना करवी ज, अने जो साधु के व्रती गृहस्थ आ नियम प्रमाणे न
, अहन्नया गोयमा ते साहुणो तं आयरियं भगति जहा णं जइ भयवं तुमं आणावेहि ता णं अम्हेहिं तित्थयत्तं करि(र)या चंदप्षहसामियं वंदि(द)या धम्मचकं गंतूणमागच्छामो ।
-महानिशीथ ५-४३५ ।