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• श्री सहजानंदघन गुरूगाथा .
(27) (पत्रांक 293)
कुनूर, दि. 25-06-1970 “परमकृपाळु के लाड़ले लाल" ( श्री लालभाई),
श्री प्रतापभाई टोलिया को श्री विमलाताईने कृपाळु देव के वचनामृत का अंग्रेजी अनुवाद करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कृपाळु के रहस्य समझने मेरे साथ पत्र व्यवहार करना चाहा है । आपको प्रतापभाई मिले तब उचित सलाह दें । कृपाळु के गूढस्थ वाक्य या शब्द समझने हेत यथाशक्ति सहायता करूँगा ऐसा लिखा है।" (पत्रसुधा)
सहजानंदघन
(28) ('पत्रावली' पत्रांक 300)
ट्रीची, 28-02-1970 भव्यात्मा श्री नवीनभाई सपरिवार, ___हम्पी में श्री टोलियाजी (चंदुभाई) की जिम्मेदारी से निर्माण कार्य चल रहे हैं । महीने में एकाध बार वे आते रहेंगे ।
सहजानंदघन
(29) मुमुक्षु बंधु श्री नवीनभाई सपरिवार, ___ 'आत्मसिद्धि' हिन्दी अनुवाद की पुस्तिका आपको बम्बई भेज दी थी वह यहाँ आने के बाद जाते समय प्रतीत हुआ कि उसका हिन्दी अनुवाद ठीक नहीं है । जिससे प्रो. प्रतापभाई कि जो यहाँ के अध्यक्ष महोदय के अनुज हैं, गुरुपूर्णिमा पर उनकी यहाँ उपस्थिति थी, उनको फिर से अनुवाद करने का काम सौपा है । कुछ पंद्रह दिनों में प्रेसकॉपी तैयार करके बेंगलोर से सीधी आपको भेजेंगे । तद्नुसार आप मुद्रण करवायें । वह कॉपी न आये तब तक जल्दी न करें । वे अंग्रेजी और हिन्दी के एम.ए. हैं और अच्छे साक्षर हैं, इसलिये उनकी कृति अत्यन्त ही उपयोगी सिद्ध होगी। उसमें संस्कृत पद्यानुवाद भी देंगे ।
सहजानंदघन
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