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________________ • श्री सहजानंदघन गुरूगाथा . (गुरुदेव निश्रा से) श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी दि. 17-6-1970 आदरणीय मामा श्री चन्दुभाई तथा श्री प्रतापभाई, सादर जयगुरुदेव । श्री प्रतापभाई का दि. 17-6-1970 का पत्र मिला । पढ़ कर समाचार जाने । श्री चन्दुभाई की परिस्थिति जान कर संवेदना जाग्रत हुई अतः जिस प्रकार शारीरिक एवं मानसिक संतुलन बना रहे उस प्रकार से परिश्रम करने की बात उनसे करें । यहाँ आश्रम का काम तो चलता ही रहेगा, अतः इस विषय में निश्चिन्त रहें ऐसा प.पू. गुरुदेव तथा प.पू. माताजी ने लिखाया है। प.प. गरुदेव को भगंदर की तकलीफ शरु हुई है जिसके कारण असह्य दर्द रहता है। बैठ भी नहीं सकते हैं। कनर में अर्श के लिए की गई शस्त्रक्रिया के समय भगंदर के लिए भी शस्त्रक्रिया की गई थी, परन्तु उसका थोड़ा भाग अन्दर बाकी रह जाने के कारण फिर से वह तकलीफ़ शुरु हुई है । प.पू. माताजी प.पू. गुरुदेव को बम्बई ले जाने की तैयारी कर रही हैं। वहाँ बकरी मलमपट्टी वाले वोराजी नामक एक वैद्य हैं जो ऐसे रोगों का उपचार करते हैं । प.पू. माताजी ने भी Bone T B के लिए उनके पास उपचार करा कर अनुभव किया है। इसलिए 28 जुन गुरुवार को यहाँ से हम रवाना होंगे। रात बेल्लारी रह कर शुक्रवार को मद्रास एक्सप्रेस से गुंटकल से रवाना होंगे । उलटियाँ इत्यादि दो सप्ताह से पूर्ण रूप से शान्त हैं । कमज़ोरी है जो धीरे धीरे दूर हो जायेगी । आपका साहित्य लेखन और साथ साथ मानसिक परिणामधारा परिशुद्ध बने ऐसे आशीर्वचन प.पू. गुरुदेव ने लिखाये हैं। वहाँ सब को प.पू. गुरुदेव एवं प.पू. माताजी के आशीर्वाद । परिवार में सभी याद करनेवाले सत्संगी भाई बहनों को आशीर्वाद ज्ञापित करें तथा आप भी स्वीकार करें एवं मेरी ओर से सब को जय गुरुदेव कहें । यहाँ आने के बाद आठेक दिन तक प.पू. गुरुदेव पर मिट्टी के प्रयोग किये थे जो अब बन्द कर दिये हैं। भवदीय, आप की भानजी चन्दना (पू. माताजी की स्वनामधन्या विदुषी सुपुत्री) (93)
SR No.032332
Book TitleSahajanandghan Guru Gatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2015
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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