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Second Proof Dt. 31-3-2016 . 44
• महावीर दर्शन - महावीर कथा •
(प्र. M सूत्र) "माता-पिता के जीवनकाल तक मैं दीक्षा ग्रहण नहीं करूंगा।"
(- कल्पसूत्र) (प्र. M) इस प्रकार इस महती चिंता में प्रभु जन्मपूर्व ही माता-पिता के जीते जी दीक्षा नहीं ग्रहण करने की प्रतिज्ञा कर अपनी मातृ-पितृ भक्ति स्पष्ट करते हैं। (प्र. F) और यहाँ माता त्रिशला भी गर्भवती माँ के लिये समुचित, उत्कृष्ट आचारधर्म का पालन करती हैं । इस में एक आदर्श माता के लिये उचित ऐसा शील, संस्कार, आरोग्यमय जीवन जीते हुए, एक महान् शिशु के निर्माण का आदर्श मार्ग प्रस्तुत किया गया है। वह अद्भुत, सर्वोपकारक, सर्वकालीन एवं सर्वदेशीय है ।... माँ क्या खाये, कैसे चले-उठे-बैठे, कैसे वस्त्र धारण करे, कैसे सोये, कैसे बोले और किस प्रकार प्रसन्नचित्त होकर शांत, धर्मध्यानमय जीवन बीताये, इत्यादि दैनिक व्यवहार के पालन करने योग्य नियम यहाँ बताये गये हैं। (प्र. M) इस प्रकार "जयं चिट्ठे जयं चरे" के विवेकयुक्त गर्भावास के नौ मास साड़े सात दिन पूर्ण होते हैं और आता है वह दिन - वह दिन है चैत की चांदनी की तेरहवीं तिथि - चैत्र शुक्ला त्रयोदशी । शुक्लपक्ष की इस चांदनी में शुक्लध्यान-आत्मध्यान-आत्मस्वरूप में खो जाने के लिये, अपनी समग्र आत्मसिद्धि को पाने के लिये, चन्द्रवत् निर्मल, सूर्यवत् व्याप्त, सागरवत् गंभीर प्रभु की महान चेतना स्व-पर हिताय जन्म लेती है । (धारण करती है) (गीत M) (Soormandal + Sitar : Musical Instruments : वाद्य मध्यांतर :
.... नीनीनीनी सानी रे रे - । पप मपपरे सारेसानी -) .. . (1) "पच्चीस सौ बरसों पहले एक तेजराशि का जन्म हुआ ।
जुगजुग का अंधकार मिटाता, भारत भाग्य रवि चमका ॥ (सा ध धधध मगमपपप । ध ध ध ध प । परेसारेनी) "कोकिल मोर करे कलशोर, वायु बसन्ती बहता रहा,
क्षत्रियकुंड में माँ त्रिशला को पुत्र पवित्र का जन्म हुआ।" (2) Music change : Guj. Folk tunes (रास गान) "क्षत्रियकुंड में प्रकट भये, माता त्रिशला देवी के नंद रे, धन्य महावीर प्रभु !
भव-भव से साधन करके लाये, साथ मति-श्रुत-अवधि ज्ञान रे, धन्य महावीर प्रभु ! (प्र. F) राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के नंदन 'वर्धमान' के((- निशान्त जन्म का यह आनंदोत्सव, यह 'कल्याणक', सभी मनाते हैं -(वहाँ मेरु पर्वत पर देवतागण और (इधर) यहाँ धरतीलोक पर राजा सिद्धार्थ एवं उनके प्रजाजन - (Rhythm + Soormandal)
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