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Second Proof DL. 31-3-2016-20
• महावीर दर्शन - महावीर कथा .
'मति, श्रुत एवं अवधि' इन तीनों ज्ञान से युक्त यह भव्य करुणाशील आत्मा गर्भावस्था में भी अपनी माता की सुख-चिन्ता एवं सुख-कामना का संकल्प करती हुई नौ माह और साडेसात दिन पूरे करती है। ... वह दिन है - चैत की चांदनी की तेरहवीं तिथि : चैत्र शुक्ला त्रयोदशी ... । शुक्लपक्ष की इस चांदनी में शुक्ल ध्यान-आत्मध्यान-आत्मस्वरूप में खो जाने यह महान चेतना शरीर धारण करती है(Soormandal + Sitar : Musical Interlude) (गीत) (सूरमंडल + सितार : वाद्य मध्यान्तर) "पच्चीस सौ बरसों पहले एक तेजराशि का जन्म हुआ। (नीनीनीनी सानी रे रे - । पप मपपरे सारेसानी -) जुगजुग का अंधकार मिटाता, भारत भाग्य रवि चमका ॥ (सा ध धधध मगमपपप - । ध ध ध ध ध । परेसारे नी)
"कोकिल मोर करे कलशोर, वायु बसन्ती बहता रहा, क्षत्रियकुंड में माँ त्रिशला को पुत्र पवित्र का जन्म हुआ ॥" . . राजा सिध्दार्थ और रानी त्रिशला के नंदन 'वर्धमान' के जन्म का यह आनंदोत्सव, यह "कल्याणक", सभी मनाते हैं - उधर मेरु पर्वत पर देवतागण और इधर धरतीलोक
पर राजा सिध्दार्थ एवं उनके प्रजाजन (सूरमंडल) (वृंदगान) (राग-बसंत बहार, केदार; ताल-त्रिताल)
"घर घर में आनंद है छाया, घर घर में आनंद । (सासामगप, पनीसारें, सां धध, धनीधध । पपपप प सांप, परेसा) (वाद्य-सागप) -
त्रिशला मीया पुत्र प्रगटिया, जैसे पूनम का चंद ॥ घर घर में 48118" (पपप सां-सा । सांसांसां । नीरेसा । सांग रेमं गरें । सां-ध प । सा- । म-रेशा ।) (सासामग । प-पनी सारें । सां-ध ध । धनी ध प । पपपप । ए-सां-1)
(म- - ग । प-रे सा । सासामग । प -नी - सां ॥) "गोख गोख में दीप जले हैं, केसर कुमकुम रंग खिले हैं। धरती के गूढ अंतस्तल से, प्रसरित धूप सुगंध... ॥ घर घर में ।
"कुंज कुंज कोयलिया बोले, मस्तीमें मोरलिया डोले । मंजुल कंठ से, मीठे स्वरसे, गायें विहग के वृंद ॥ घर घर में ॥ (सूरमंडल) (M)
और इस महामंगलकारी जन्मकल्याणक के पश्चात् - (गीत) (राग-मिश्र; ताल-दादरा)
(SGAR-SAR
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