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के उपलक्ष में महाराष्ट्र राज्य के राज्यपाल श्री मंगलदास पकवासा के कर कमलों से मुंबई में उनको विशिष्ट पुरस्कार दिया गया। तत्व चिन्तक, वक्ता एवं लेखक:
नवकार महामंत्र व प्रकृति का शासन यानि विश्व तंत्र की व्यवस्था (Cosmic Order) के बारे में उनका चिन्तन गहन था। उनके विचारों का प्रसिद्ध लेखक और चिन्तक श्री वसंतभाई पर गहरा प्रभाव पड़ा। वे हिन्दी और अंग्रेजी दोनो भाषाओं में धारा प्रवाह भाषण देते थे। उनके भाषण रूचिकर, तथ्यपूर्ण व ओजस्वी होते थे। महावीर जयंति के अवसर पर मद्रास के राज्यपाल (भावनगर महाराजा) द्वारा आयोजित समारोह में विशाल जनमेदनी के समक्ष उनके द्वारा दिया गया भाषण विद्वत्तापूर्ण और प्रभावोत्पादक था। वह भाषण हिन्दी भाषा में लघु पुस्तक के रूप में छपा था।
उन्होंने हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में कई पुस्तकों का लेखन किया था। योगीराज श्री शांतिसूरिजी के बारे में विस्तृत निबंध लिखा था जो 'शांति ज्योति' नामक पत्र में प्रकाशित हुआ था। कई महत्वपूर्ण पुस्तकों के लिए भूमिका, उपोद्घात, प्राक्कथन आदि लिखा था। पुडल तीर्थ (केशरवाडी):
___चेन्नई से करीब १४ कि.मी. की दूरी पर पोलाल नामक गांव में श्री आदिनाथ भगवान का बिलकुल ही छोटा मंदिर था। सकल जैन संघ के सहयोग से उन्होंने इस पुडल तीर्थ (केशरवाड़ी) का उद्धार किया। आज यह तीर्थ पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गया है। इस तीर्थ पर दादा गुरुदेव श्री जिनदत्तसूरिजी की दादावाडी, श्रीमद् राजचंद्र गुरुमंदिर, आ. पूर्णानंद सूरिजी गुरू मंदिर, महाविदेह धाम, हास्पिटल, गुलेच्छा कोलोनी, (साधर्मिक भाइयों के लिये आवास) आदि का निर्माण हुआ है। इस तीर्थ पर उपधान तप आदि अनुष्ठान होते हैं। यहाँ जैन धर्म के साहित्य के प्रकाशन व वितरण के साथ-साथ जीव दया की गतिविधियाँ भी होती रही। यहाँ पर मुमुक्षु आश्रम कई वर्षों तक चला। सिद्धपुत्रः
प्राचीन काल में "सिद्धपुत्र' होते थे। उनका जीवन साधनाशील व जिन शासन को समर्पित रहता था। इस लुप्त परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए स्वामीजी स्वयं सिद्धपुत्र बने। कई कारणों से यह परंपरा आगे नहीं बढ सकी।
पेराजमल जैन