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मौन-प्रसून-प्राक्कथन :
श्री नवकार महामंत्र ॐ नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं |नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं/नमो लोए सव्व साहूणं/ एसो पंच नमुक्कारो/ सव्व पावप्पणासणो |मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलम् ||
आत्मसिद्धि प्रदाता, आत्मस्वरूप प्रकाशकर्ता, विश्वसमस्त कल्याणदाता, अचिंत्य महिमावंत, अनादिनिधान नमस्कार महामंत्र की कितनी गुणचिंतना एवं अभिवंदना करें?
उसके जितने ही गुणगान करें उतने अल्प! उसके जितने भी आराधन करें उतने स्वल्प!!
अनेक साधकों, अनेक आत्माराधकों ने अनादिकाल से, अनेक अनेक रूपों में उसकी आराधना की और वे इस अनादि अनंत भवसंसार को पारकर अपनी अनादि अनंत आत्मसत्ता को उस शाश्वत सिद्धलोक में सदासर्वदा के लिये सुस्थापित, सुप्रतिष्ठित कर गये...!!!
नवकार महामंत्र के उन महान आराधकों की भी वन्दना करते हुए यहाँ उन धन्य आत्माओं से, स्वयं परिचय में आये हुए कई सिद्धवत् आत्माओं में से अभी तो केवल उन दो उपकारक सत्पुरुषों की अभिवंदना सह उनकी नवकार मंत्र निहित निगूढ रहस्यों को समुद्घाटित करने की अनुमोदना करनी है कि जिन्होंने इस वर्तमान काल में अपनी स्वयंसाधना, आत्मानुभूति एवं प्रयोग के द्वारा नवकार मंत्र महिमा को अभिनव अर्थ प्रदान किया।
ये दो महापुरुष प्रत्यक्ष उपकारक सद्गुरू जन हैं श्रीमद् राजचंद्र आश्रम हंपीकर्नाटक के संस्थापक योगीन्द्र युगप्रधान सद्गुरूदेव श्री सहजानंदघनजी महाराज और पुडलतीर्थ मद्रास के शोधक-स्थापक स्वामी ऋषभदासजी 'सिद्धपुत्र | प्रथम परम पुरुष प्रभु सद्गुरु के द्वारा की गई नवकारमंत्र की महिमागाथा अनन्य आत्मशरणप्रदा सद्गुरू राज विदेह ऐसे श्रीमद् राजचंद्रजी जैसे इस युग के निराले अनुपम युगदृष्टा के चरणचिन्हों पर चलते हुए की गई अन्यत्र नवकार महिमा सी.डी. से प्रस्तुत है। उन्हीं की सत्संग छाया में पल्लवित दूसरे परम धन्यात्मा स्वामी श्री ऋषभदासजी सिद्धपुत्र की यहाँ पर। सर्व को वह उजागर करेगी। ॐ शांति।।
- प्रा. प्रतापकुमार टोलिया
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