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________________ तेथी ओम जणाय छे, मळे न मोक्ष उपाय ; जीवादि जाण्या तणो शो उपकार ज थाय ? पांचे उत्तरथी थयुं समाधान सर्वांग ; समजु मोक्ष उपाय तो, उदय उदय सद्भाग्य. समाधान सद्गुरू - उवाच आत्मा विशे प्रतीत; सहज प्रतीत अ रीत. कर्मभाव अज्ञान छे, मोक्षभाव निजवास; अंधकार अज्ञान सम, नाशे ज्ञान प्रकाश. पांचे उत्तरनी थई, थाशे मोक्षोपायनी, जे जे कारण बंधनां, तेह बंधनो पंथ; ते कारण छेदक दशा, मोक्ष पंथ भव- अंत. राग द्वेष अज्ञान अ, मुख्य कर्मनी ग्रंथ ; थाय निवृत्ति हथी, ते ज मोक्षनो पंथ. आत्मा सत् चैतन्यमय, सर्वाभास रहित; जेथी केवळ पामीओ, मोक्षपंथ ते रीत. कर्म अनंत प्रकारना; तेमां मुख्ये आठ; तेमां मुख्ये मोहनीय, हणाय ते कहुं पाठ. कर्म मोहनीय भेद बे; दर्शन चारित्र नाम; र्णे बोध वीतरागता, अचूक उपाय आम. 33 ९५ ९६ ९७ ९८ ९९ १०० १०१ १०२ १०३
SR No.032316
Book TitleBbhakti Karttavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1983
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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