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पंचभाषी पुष्पमाला पुरुष की होगी उसका आज का दिन हम सब के लिए वंदनीय है।
९५. इन सब लक्षणों से युक्त होने के लिए जो पुरुष
विचक्षणतापूर्वक प्रयत्न करता है, उसका दिन हम सब के लिए माननीय है।
९६. इससे विपरीतभावयुक्त व्यवहार जहाँ हो रहा हो
वह घर हमारी कटाक्षदृष्टि की रेखा है।
९७. भले ही तुम अपनी आजीविका के जितना प्राप्त
करते हो, परंतु यदि वह निरुपाधिमय हो तो उपाधिमय उस राजसुख की कामना करके अपने आज के दिन को अपवित्र मत करना । किसीने अगर तुम्हें कटुवचन कहा हो तो उस समय सहनशीलता (धारण करना) निरुपयोगी भी...
९९. दिन में हुई भूल के लिए रात के समय (अपने
आप पर) हँस लेना, परंतु इस प्रकार फिर से
हँसना न पड़े इस बात को लक्ष में रखना । १००. आज बुद्धिप्रभाव में कुछ वृद्धि की हो,
आत्मिक शक्ति को उज्ज्वल बनाया हो, पवित्र
जिनभारती