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पंचभाषी पुष्पमाला
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लोगों के लिए शीघ्र प्रशस्त क्रम में ले जानेवाला बने, योजक बने ऐसी परमात्मा को प्रार्थना है ।
साध्वीश्री भावप्रभाश्री
वि. सं. २०५५
श्री स्तंभतीर्थ, श्री सुबोधक पाठशाला पुस्तकशाला
(इस पुस्तक
में "अवतरण" चिह्न में दिए गए
वचन
'श्रीमद् राजचंद्र वचनामृतजी' ग्रंथ में से हैं ।)
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सौजन्यः ऋणस्वीकार : श्री सुबोधक पुस्तकशाला, श्री स्तंभतीर्थ, खंभात ।
हिन्दी अनुवाद : श्रीमती सुमित्रा प्र. टोलिया, बेंगलोर ।
जिनभारती