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पंचभाषी पुष्पमाला
पुष्पमाला
राय से लेकर रंक और आबालवृद्ध, सभी मनुष्यों के लिए, अरे! धर्माचार्य को भी, परभव श्रेयस्कर धर्मनीति का निःस्वार्थरूप से उपदेश दिया है।
यह हमारे हृदय में जगदगरु के रूप में (उनका) परिचय करवाती है।
यह पुष्पमाला गुलाब के फूल से भी अधिक सुवास देनेवाले गुणसौरभ से भरी हुई है। इसकी शैली अपूर्व है।
इसके वचन सूत्रात्मक हैं, जिसमें आगम का सार आ जाता है।
प्रथम त्यागी से लेकर प्रत्येक भूमिकावाले मनुष्य के पास खड़े रहकर आत्मीयतापूर्वक ये महापुरुष समझा रहे हों ऐसी रोचक एवं जागृतिप्रेरक (इसकी) शैली है। यह सरल, सहजगम्य भाषा की
छु जिनभारती