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________________ Second Proof Dr. 23-5-2017 -51 • महासैनिक. "अगर कुछ मरतबा चाहो, मिटा दो अपनी हस्ती को कि दाना ख़ाक में मिलकर गुले गुल्ज़ार होता है।" (अचानक आवाज़ और पेरेश्युट से डिफैन्स मिनिस्टर और उनके कुछ सिपाहियों का प्रवेश - ऊपर से ही सीधे नीचे कूदते है छत्री के साथ । सब खड़े हो जाते हैं। डिफैन्स मिनिस्टर : (जनरल से) Excuse Me जनरल व्हाइटफिल्ड और सभी अफसरों ! आप सब ने हमारे देश को बड़ा भारी नुकसान पहुंचाया है और खबर मिली है कि उसके बावजूद.... देश के खिलाफ बगावत करने अपनी नयी आज़ाद सेना रची है। इस कारण से प्रेसिडेन्ट के आर्डर से यह वारंट आप सब पर बजाया जाता है (कागज़ देता है,- आप सब पर कोर्ट मार्शल का - (अचानक सब पर वज्राघात : झटका : Effect : वाद्य) सिपाहियों ! आप सब घेर लो सभी को (सभी निश्चल, निर्भय खड़े हैं। जनरल आगे आते हैं।) जनरल : हमें घेरने की कोई ज़रुरत नहीं मिनिस्टर साहब । हमारे गुनाहों के लिए हम मरने को बिना हिचकिचाहट को तैयार हैं। लेकिन हमें मारने से पहले इतना सुन लिजिए कि हमने कोई बगावती आजाद सेना नहीं बनाई सत्ता छीनने किसी देश को तोड़ने हमने रची है शांतिसेना सत्ता छोड़ने और सारे संसार को जोड़ने.... । अब मारें हमें.... चलायें गोली..... सब : चलायें गोली : जय शान्ति, जय जगत्, जय गांधी.... ! (Effects) जनरल : (मिनिस्टर और सिपाहियों को भौंचक्के-से-खड़े देखकर) रुक क्यों गये, चलाइये गोलियाँ - डिफैन्स मिनिस्टर (गोली छूट नहीं पाती, क्षुब्ध, विक्षिप्त से.). अरे..... यह क्या....? (बड़े ही शरमिंदे खड़े रहते हैं, अपनी रिवोल्वर नीचे पटकते हैं... सिपाहियों से) तुम चलाओ गोलियाँ सिपाहियों.... (सिपाही गोली चला नहीं सके....) जनरल : चलाइये जल्दी, देर मत कीजिए - शायद आप सत्ताधीशों के पास अब हमारी जरुरत नहीं.... ! चलाइये अपना फर्ज पूरा कीजिए ! (सिपाही कोई गोली नहीं चला सकते । अंत में.... जनरल अपने हाथ से सिपाहियों से रिवोल्वर छिन अपने को ही मारने जाता है.... गोली छोड़ता है, डिफैन्स मिनिस्टर पिधलकर रोते हुए उससे रिवोल्वर छुड़ाने जाते हैं परंतु एक गोली छूट ही जाती है, कंधे को पार कर चली जाती है, जनरल गिर पड़ते हैं घायल होकर - सब दौड़ते हैं उनके पास -) डिफेंस मिनिस्टर : माफ करें मुझे माफ करें, जनरल ! जनरल : "प्यारे मिनिस्टर साहब । आप तो माफ़ ही है मुझे आप से कोई नफ़रत नहीं, आपने अच्छा ही किया, मेरा बलिदान शायद कुछ काम कर जाय तो मैं धन्य बनूँगा ।" सब : नहीं, नहीं, आपको हम बलिदान देने नहीं देंगे आपकी अभी बहुत ज़रुरत है इस विश्व में.. (डोक्टर दौड़कर चिकित्सा करने लगे हैं) (51) 1316
SR No.032302
Book TitleMaha Sainik Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherYogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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