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Second Proof Dt. 23-5-2017 - 41
जनरल : ( कुछ देर तक पढ़ते हुए लेटे रहने के बाद : चिंतन )
(पार्श्वघोष )
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"अगर गांधी एक सत्यशोधक और शूर सैनिक साथ साथ बने रह सके तो मैं क्यों नहीं ? अगर बाबा जिंदगीभर इन युद्धों को रोकने टूटते तड़पते कोशिश करते रहे, तो मैं क्यों नहीं ? और अगर गांधी के मार्गदर्शक अपने प्रेम और अहिंसा के बल से क्रूर बाघ-शेरों को पलटते रहे... तथा गांधी उसी बल पर एक विराट साम्राज्य को हिला कर अपने देश को आज़ाद कर सके तो... तो... मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता ? • मेरे देश के लिए, बिलखती हुई मानवजाति के लिए, विश्वशांति के लिए... ?
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( कुछ क्षण रुकता है, खिड़की के बाहर झांकता है .... )
"मैं कर सकता हूँ, मैं कर सकूंगा... अब से लेकर मेरा यह मिशन बनेगा : भूमि पर और अवकाश में तूफान उठाने का युद्ध के विनाश के लिए नहीं, विश्वशांति के लिए योद्धा बनूंगा एक संपूर्णतया नया योद्धा !... तब ही मेरे आज तक के तब ही.... ।'
आज से मैं एक नया महापाप धुल सकेंगे,
(वाद्यसंगीत : पुन: बाबा की वाणी की प्रतिध्वनियाँ जनरल के कानों में गुंजती है - )
(वाद्यसंगीत )
पार्श्वघोष : ( बाबा की वाणी ) ( गंभीर प्रतिध्वनिपूर्ण आवाज़ )
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'.... परमात्मा आप को
सचमुच ही बहादुर सेनानी बनाएँ बिना हिंसक हथियारों के, बिना नफ़रत के सेनानी ! गांधी से भी आगे बढ़े हुए सेनानी !!" (वाद्यसंगीत)
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• महासैनिक •
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फिल्ड मार्शल ( अचानक द्वार पर आकर ) : Excuse Me Sir, may In come in ? ( जनरल : Yes, come in) साहब ! अवकाशी छत्रियों से अचानक ही कुछ एक स्प्रे शांतिसैनिक आ रहे हैं - जनरल (बीच में ही, सहर्ष उठकर ) : शांतिसैनिक ? बड़ी खुशी की बात है !
फिल्ड मार्शल (झिझक के साथ) लेकिन.... लेकिन वे आप से मिलना चाहते हैं और कहते हैं कि अगर हम प्रेम से नहीं मानते हैं तो वे अपना बलिदान दे देंगे, लेकिन हमें और राकेट छोड़ने नहीं देंगे.... । (सत्याग्रह के मूड में)
फिल्ड मार्शल नहीं तो मैं फिल्ड वर्क से सीधा ही भागा भागा आ रहा हूँ।
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जनरल (हँसकर ) : मार्शल को मैंने राकेट लॉन्चिंग प्रोग्राम को ही बंद करने की सूचना कभी की दे दी है इस बात का शायद तुम्हें पता नहीं दिखता.... ।