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________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 - 34 • महासैनिक. प्रेसिडैन्ट (आवाज): जान ली हैं । बड़ी ही गमख्वार खबरें हैं, और हमारे ही राकेट के सॉल्जरो से हुई तबाही की... हमारा सारा प्लान डिस्टर्ब हो गया इतना ही नहीं देश का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो चुका - जनरल : यह जानकर मेरी हालत... का तो आप अंदाज़ ही नहीं लगा सकते, साहब ! प्रेसिडैन्ट : मैं समझता हूँ और मेरी हमदर्दी है तुम्हारे साथ । अब हमारे आगे के प्लान के बारे में क्या सोचते हो? जनरल : उसी की तैयारी में हैं। कुछ समय के बाद फिर बताउंगा जल्दी करने का तो कह ही दिया प्रेसिडैन्ट (आवाज) : All right.... wish you all success now. Good Bye. जनरल : Thank you Sir, Good Bye ( फोन काट देता है।) (जनरल बड़ी जल्दी से घूमता रहता है, पागलपन के साथ ।) जनरल : पांच करोड़ लोग । मेरे ही देश के पांच करोड़ लोग !! पांच करोड़..... !!! और मेरी ही सेना के हाथ... (इन्डीकैटर पर गरबड़ की आवाजें, चीखें, बम की प्रतिध्वनियाँ - तंग आकर जनरल टेइपरिकार्डर के पास बैठ जाते हैं और उसे चालु करते है-) पार्श्ववाणी (टेइप से : स्त्रीस्वर) दुनिया हिंसा से पागल होती जा रही है, रोज-रोज घोर युद्ध और रक्तपात ! रोज रोज घोर युद्ध और रक्तपात । रोज रोज बेगुनाहों की कत्लेआम.... !! दुनिया की वह प्रथम महाहिंसा, प्रथम बम (बम की आवाजें effects)६ अगस्त १९४२ : जापान के हीरोशीमा और नागासाकी : (बच्चों की, स्त्रियों की चीखें) बेहाल हो मरे हुए लाखों बच्चे और स्त्रियाँ..... ! संसार इस हत्या से काँप उठा, गांधीजी हिल उठे, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ की आत्मा गा उठी (२ वर्ष पूर्व ही दिवंगत) . पार्श्वसंगीत (करुण : भैरवी : पुरुषस्वर : बंगला रवीन्द्र संगीत) "हिंशाय उन्मत्त पृथ्वी, नित्य निठुर द्वन्द्व घोर कुटिल पंथ तार, लोभ जटिल बंध.... हिंशाय.....।" पार्श्ववाणी : हिरोशीमा के सर्वप्रथम बम से एक लाख आदमी मरे, तीसरे विश्वयुद्ध के सब से बड़े बम से एक करोड़ आदमी मरे, लेकिन अब..... । (34)
SR No.032302
Book TitleMaha Sainik Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherYogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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