________________
कृति - कथ्य :
Pragya Sanchayan - Deeply studied, translated and edited philosophical analytic Hindi writings on Jain Philosophy, Non Violence, Srimad Rajchandra and Mahatma Gandhi by the great Gandhian Jain Philosopher Padmabhushan, Pragya Chakshu Dr. Pandit Sukhlalji प्रज्ञा संचयन
Philosophy
दर्शनशास्त्र
--
पुरोवचन लेखक:
डॉ. जितेन्द्र बी. शाह
निदेशक, ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद
सौजन्य - स्वीकार
जैन संस्कृति संशोधन मंडल, बनारस
पंडित सुखलालजी सन्मान समिति, अहमदाबाद
संपादक - अनुवादकः
प्रा. प्रतापकुमार ज. टोलिया, सुमित्रा प्र. टोलिया
प्रकाशक : सर्वाधिकार जिन भारती
वर्धमान भारती इन्टरनेशनल फाउन्डेशन
560 009
प्रभात काम्पलेक्स, के. जी. रोड़, बेंगलोर जनहित संस्थाओं के लिए जन जन हिताय मुक्त - एक पूर्वानुमति पत्र के बाद । व्यापारिक - व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए प्रतिबंधित ।
Copyright reserved by Jina Bharati
Free for philanthrophic organisations after prior permission letter. Restricted for commercial-business concerns.
संस्करण: प्रकाशन वर्ष : 2011 प्रथम आवृत्ति
टाइपोसेट एवं आवरण चित्र : श्री अंशुमालिन् शहा, इम्प्रिन्ट्स, बेंगलोर - 4
मुद्रक :
सी.पी. इनोवेशन्स, किलारी रोड़, बेंगलोर - 53
मूल्य : अग्रिम आरक्षण : 5 प्रतियों के लिए रू.501/= प्रकाशनोपरांत
: रू. 151/ = मात्र
ISBN No. 81-901341-11