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स्थानो, अर्ध खेड व्यक्तिनी भालिडीमां नथी. परंतु, तमाशं धां श्रावडीनां समूह· मणीने ४ संघश्ये उद्देवाय छे. खायएगां घर-हुछान डे परिवारमां 'मारांपणा' नी बुद्धि राजवाथी, सात्माने उर्मबंध थाय. परंतु, श्री संघ, हेरासर, उपाश्रय, सायंजिल जातुं वगेरेमां 'भारांपा' नी बुद्धिराजी तो खात्माने साल थाय खामगां श्रीसंघम, हेरासरमां के खायंजिल जातामां धनारी भवहिंसाने विनय-विवेऽपूर्वऽ खरडापपानी व्याजहारी मात्र ट्रस्टीखो ' पहीपरडारोनी नथी, परंतु, संघमा तमाम सहस्योनी छे. खा न्वालहारीनुं पहुन उरखां कलां, खभ्यागा ञटडावयां क्तां, जायएगां द्वारा विनय- विवेक के खौयित्यनो लंग न धर्ध भय, "तेनी पूर्ण डागभु राजवी.
जाग
(१४) भे डार्धनींग रेजल पर छायां पालीनो ग्लास पड्यो होय, तोते टेजस पर रहेलां रोटली - हाण - लाताहि खेड पए। वस्तु पू. साधुसाध्वीन न बहोरे. डराए में; टेजल पर रहेस शेटली - हाज-लाताहि वस्तुनो बहोरवां माटे, टेजल उपरथी सेतां-मृदुतां, टेजसमां तां स्पंहनने (ध्रुभरीने, सीधे, ग्लासमा रहेल पाएगीनां असंष्य भुपोने ★ डिसामना यहाँये छे. तेथी, डार्धनींग टेजल उपर छायां पाएगीनो ग्लास लूलथी पा न रही भय तेनी खास डाजम राजवी. मेथी, सुपात घननां सालथी पंथित न रहेषु पडे.
प
राम कुमारपानी खश्वशाणामां खगियार लाख घोडा जने गभ्शाणामां खगियारसो (११००) हाथीरजोने रो४ गांजीने ४ याएगी पीवडावयामां आवलं. आम्नां श्रापड़ो, हाथी-घोडाने तो नहीं, पा पोतानां संतानोने पाए। गाजेतुं पाएगी पार्ध राहतां नथी. घएगां लोडो, मोटे लागे जिससेरी पॉटर, डोल्ड्रींडस खने ड्रीलमां ठंडी हरेली जोटसोनुं पाएगी वापरतां होय छे, मे सर्वथा खागगण ४ होय छे. कुमारयाण राम द्वारा भे पोतानां साजो घोडांखोने गाणेसुं पाएगी ४ पपरापातुं होय, तो उम-से-उम, तमारां परिवारनां सहस्यो, तमाशं आजओ तो खएागण पाएकी न ४ वापरे ने? हॉटलमां पाए। तमारां जाजड़ो तो गाणेसुं न पाएगी वापरे ने ?
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(पथ)
भुज, समहावाह जने सुरत ?वा शहेरोगां डेटलाई (खांगणीनां पेढे गएगी शाय तेरला) श्रावो खाने पाग सेवां छे,