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No.
Date
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| SIगडा - जिलाडी - समडी- जा४ - इतरां नेवां उहर- लक्षी पशु-पक्षी हावर होय, तो उदरने छोडतां ४, तेनां उपर तराय भारी, तेने भारी नांजशे तेथी, डाजभपूर्वड, उंहरने छोडवो. उहरना खवर - वरनां मार्ग उपर ड्यूरनी गोजी भूडी राजवाथी, उंहर खावतां नथी. डपूरनी गंधथी उंहर खोछां धर्ध भय छे, लागी, भय छे. तेथी, थोडा-थोडा अंतरे डयूरनी गोटीखो (naphthalene balls ) गोडवी हेवी, घरमा धूसी गयेल उहरनां प्रासथी जयवा माटे, सापां जधां निर्दोष उपायो ऽपां परंतु तेने साडडीथी इरडारवानी हे भारी नाजवानो, वियार पए, खापलगांची न, दुरी शाय
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घरमा, भोरनां प्रींछां रींगाडी राजवाथी, गरोजी खापती नथी. सोडो सेवा पा साप पहा मोरना पीछांथी खापतां नधी खाने, खमुङ छे के देखो, साथ हे गरोजी हेखातां, तेने भारी नांजवा डरवा तरत होडी पंडे छे. प्रभुनुं शासन पामेल रैनोखे तो खाएं डर भराय उचित नथी.
प्रयत्नो
(१४) धरमां पक्षीखो माणां जांधे, तो डा- जय्यां वगेरेनी सभातां याग, विराधनानो संभव रहे छे, प्यारेड, उडतां पंजीनो, पंजामां खावी क्वाथी, खस्मातने सीधे, भि हे मृत्यु थवानो यए। लय रहे थे. तेथी, पक्षीजो माणां जांधी राडे तेयुं पोलाए ४ घरमा न राजपुं. नेथी, जागल भतां, पंजीनी ऐ तेनां जय्यां- धंडानी, मोटी हिंसानी संभावना न रहे. भरला डे, खेडेन्द्रिय, जेर्धन्द्रियाहि भयोनी हिंसा डरतांय, पंथेन्द्रिय भुवोनी हिंसानो दंड, घएगो मोटो लागे छे, खनेड गयो पधारे दंड लागे छे
प्र
(14) सीपस्टीक, नेसपोजीश, शेम्पू - परोरे
मनपरोनां हाडां,
हाडडानां लुआं, लाल लोही, तेभर कुहां-हां अवयवोनां रसमांथी जने थरजीभांधी तैयार थाय छे. ससलां, पांहरा, उँहर उपर ते पहार्थोनां खनेऽ प्रयोगो . थाय छे. खा प्रयोगो हरम्यान,
खांधना जनी भय छे, खने लिपस्टीङमां, माछलीनां
जनंङ पशुजो पीडाय छे, पींधाय छे, जमुङ जियारां तो भरी यए। भय छे. शरीरनां लींगडा सुडवीने तेनो उपयोग थाय छे. तेथी, भवनलर माटे, जने5 पशुखांनी हिंसाथी बनेल, सभपटनां तमाम Cosmetics. पहार्थोनो त्याग डरपो.