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भेरनी एक्षिण दिशामा ती 'सनत्कुमार' हेययोऽ सने उत्तर शिामा योधुं'माहेन्द्ररहेपतोऽ छे. जंने भनीने पूर्ण यंद्रमाने साधारे छे. त्यांची मसंज्यात योहन रा ये पता पांयमुंघ्रलमोड' हेपटोड छे. ते परिपूर्ण चंद्रमाने साडारे छे.
मा पांयमा हेपलोडनी लिए हिशामांE 'दृठारान' छे. छेमा थार दिशा, यार पिहिशा बने डा मध्यमा, म मुस नप विमान थे. भां नप जतिनां 'सोडांति यो रहे छे. यितमा हेमाडेप जयी). सोऽति हेपो
पायमा जलसोड रेषलोऽना शंतमा रहे छे, भाटे तेने लोडांति' हेवाय छे. सथपा टोऽ मौयिह लाप उप संसार, तेना संते रहेखा भाटे सोडांति हेपाय- मर्थात् लेना स्वामी देव प्राय: भेडापतारी होय छे. सोडांति पोर्नु मान-सन्मान घj होय छे. तेनां मुज्यप सभ्यगदृष्टि होय छे. तीर्थंडरना डीक्षा टोपाना समये, सोडांति हेयो मनुष्य लोऽमांसावीने तेमनेप्रार्थना डरे छे: “हे लगपना आप प्रपन्न्या अंगीकार डशेसने
गत योनां स्याएाने मारे धर्मतीर्थनी स्थापना डरो." लेडे, तीर्थंडर हेपो तो स्पयंसंमुहान होय छे, छतां सोऽति हेयोनो
खा प्रहारनो प्यपहार छे. | लोडांति हेयोनां नानो नीये प्रभाएो छ :
सारस्वत साहित्य पलि (क) परए। (प) गहतोय ड) तुषित (मप्याणाध मानेय () मरिष्ठ .
पायमा हेपतोऽधी ससंज्यात योन पर रहये कतां छहू'सांत यलो छे ते पण यंद्रभानपुं गोग छ. - त्यांची गसंष्यात योहन हा रन्तु ये रतां सातमुं महाशु' चलोड छे. ते पूर्ण गोण छे. त्याथी मसंज्यात योन एउ र) ये रतां माठ, सहस्त्रार' हेपलोड छे. ते पए पूर्ण गोण छे. त्यांधी खसंज्यात योल्डन [पर रखा ये तां घिलिए डिशामां नप 'माएात' मने उत्तर दिशामा समुं