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ॐ
पयन्द्रिय
पो
No.
Date
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व्याज्या: ने नुयोने थामडी, जुल, नाई, मांजा, डान - मे पायेय
केन्द्रियो होय, तेने 'पंयेन्द्रिय अपो' हेवाय. हातः हेप, मनुष्य, तिर्यंय पंथेन्द्रिय पशु-पक्षी) , नार पोरे.
पंयेन्द्रिय तुपो र प्रार)
देव
नार
तिथंथ मनुष्य नारः नारडनां गुपो अत्यंत जवाणा' छ. पोतानां दूर होने
लोगवयां तेरो नारडीमा ८४ नरमां) हन्मे छे. तेसोना ... जोर्नु पनि ज्ञानीमो पा री शऽतां नी. तिर्ययः तिर्यंय गतिना जुपो पहुए नपाणा' होय छे. तेमने
"परवशता' घी होय छे. ज्यारे यांशिऽ सुमलोगपे छे. * तिर्यंय गतिनां यो = खेडेन्द्रिय + पिलेन्द्रिय + पंयेन्द्रियतिर्यय | * तिर्यंय पंयेन्द्रिय गुपो = रणथर स्थिणयर जेयर - पशु-पक्षी भन्नुष्यः सा गति सुज-प्रवाणी' छे. परंतु, सविशेषता से छे
ड, भनुष्योहे नुपयोग्यताने पानीने परिलमाथी मुक्त धर्मशाश्वत सुण प्राप्त उरी राडे छ. भापुंसंज्ञीपj-पियारशस्ति
धारण ऽश्नारं अपन प्राप्त पुं हुर्खल छे. हेपा आ गतिमा, प्नुपने सर्प प्रहारनां लौतिऽ सूजो होयछ,
परंतु, मनुष्यगति वां धर्मनां साधन संयमनी प्राप्ति थती नयी तेधी, सुणलोगमां रायीने प्रायः तिथंय गति पामे छे. परंतु, सभडिती हेप, सुनमा पए। सलान होपाधी, मनुष्य एधारए। डरी भुडित पाभे छे.
सा यार गति सेटल भन्मराहितां जमने परित्नमा छ. 'भोर' मर्यात पंयभगति र नुपना सायां सुभ स्थान छे.
मा नुववियारर्नु ज्ञान ते गतिनी प्राप्तिनी इयि - भाटे छे.
KOKUYO W-NB2800