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+ स्थाने बेसीने, वहां पासमां संर्धने, बायरी शाय. ने पालीथी हाज-लात, इरसाए। खाहि वपरायेस थाणी धोपार्ध होय, खेन पालीथी नहीं, परंतु, बुहां योज्यां पाहुणीथी, हीं-छाश पपरायेस थाणी- पाटो ग्लास बगैरे धोर्धने वापरयुं के स्थळे हाण - डडोणाहिनां पासगो धोवाय, ते स्थणे, हहीं छाशाहिना लाग्नो न धोयां. खा जधी सूक्ष्म डान लेवानुं डाराग, खेटलूं ४ छे डे, खेड टीपां नेटलं अंश मात्र या, अयां हीं, छारा मे ऽहोजाहि साथै लगे, तो तरत भा, खसंज्य जेर्धन्द्रिय भयोनी उत्पत्ति + विराधना ... थाय छे.
(१८)
खाजाडोमा पोसाला होय तथा वातावशुगमां विशेष प्रभारामां लेक होवाथी, योमासामां मग सिवायनां खाजां उडोज (योगा, वाल, लाल या सुपयशां, अजुली यएगा, सम्मा साहि) न पायरी शडाय. योमासामा लेग्नां पातावशुगने सीधे, खाजा दुडोजमां, बेर्धन्द्रियखाहि चिडलेन्द्रिय भुषोनी उत्पत्तिनी संभावना होवाथी, योमासामां श्रापडोखे, भगर सिषायनां खानां दुडोजनो त्याग खो. भगनी हाण, तुपेरनी हाण, मोगर हाण, खडहनी हाण, थांगाहानाहिमां तथा भगमां पए।, खा विराधनानी शड्यता न होवाथी, खुशीधी
T वापरी शडाय छे. तेथी, योमासायां, खाजां दुडोजनां वपराशथी जनेस रगडा-पेटीस, छोले-पूरी, पाएशीपूरी जाहि स्वाहिष्ट पानगीसोनो श्रापडोखे त्याग उरखो.
(१८) ने वस्तुनां वर्श-गंध-रस-स्पर्श जगडी गया होय, खेवी सडेलीजोरी वस्तुख, टीन येङझस्टडु शरजतीलाओ, रातपासी सेरली लाजरी थेपलां - नरम लोयां पूरी- शीरो- ब्रेड- यांड - ढोडणांभावो - जासुंही - श्रीजंड यो विगेरेभां जगजित जेर्धन्द्रियाहि प्रस भवोनी हिंसा थाय तथा शरीरमां रोग विवृति डरे, झाडां-उष्टी - मराग नीपथे. जभरनी मिठार्धस्रो, पासी भावानी वस्तुनो, ओल्ड्रींक्स, पीलांखो कोरे जघु खलक्ष्य - अमेय छे.
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जोन अथाएं: जराश वगरनां रखने मेथी नांखेला खथागांमात्र 5 दिवस पापरी शाय. परंतु, जनाव्यानां जीभ हिवसे,, 'ते' खथाएगा 'खलक्ष्य' ३ये उहेवातां होवाथी, पायरी न शडाय. जराशवाणां सथाएगां उ हिवस सुधी ४ पापरी शाय छे रखने योथे हिवसे खलक्ष्यइपे डहुंचाय छे. हुवे, जराजर तडडे सुडव्यां न होय