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मनो खात्मा उर्मनां वाहनथी 'नराय ढंडायेलो नथी + नेमना खात्मानां जनंता गुएगो पूरेपूरा प्रगट थर्ध गया छे (दुर्मइपी पाहणाखो नाश थपाने डारो) देखो सिद्धपह- मोक्षने पाम्यां छे + यार गति उप संसारनी रजडपट्टीथी हुपे डायम माटे देखो छूटी गयां छे, ते भुवोने 'मुक्त भुवो' उहेवाय.
यालो, हुवे उपर हरेल प्याख्याखोना अनुसारे 'संसारी' खने 'मुक्त' भुवो पय्येनो तझवत खापएंगे वियारीखे.
: तझवत :
संसारी भुव
(9)
के लूताणमां खनंतोडा यार गतिनां संसारमां राजड्यां छे, वर्तमानमा पए। केभनं रजडवानुं यालु छे जने लविष्यमा पए। मोक्ष न यामे त्यां सुधी राजडशे. (२) ने भुवो मोक्षने पाम्यां नथी. (3) खात्मानां जनंता गुणोनो संपूर्ण (यूरेपूरो) प्राश, बेमनो हुनु प्रगट थयो नथी.
(४) दुर्मनो ऽयरो हुनु पूरेपूरो नेमनो जयो नथी. (4) हा.स. पाहणथी दंडायलां
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सूर्यनो खल्य प्रकाश जाएामांथी नीडजेल भाटीथी मिश्रीत
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जशुद्ध सोनुं,
अहपथी मेलुं थयेल मलिन वस्त्र, उपरथी डायी नांखेल
जावणनां वृक्ष (वे दूरी उगी राडे), तेनां समान-तुल्य 'संसारी खात्मा' हेवाय.
मुक्त भुव (1) के लूतडाणमां जनंतोडान यार गतिनां संसारमां राजड्डयां छे परंतु डर्मोनो नाश उरवाने सीधे हुपे रोमने रखडवानुं नथी खने लविष्यमा पए। रजडशे नहीं. (२) के भुवो मोक्षने पाम्यां छे. (3) खात्मानां खनंता गुएलोनो संपूर्ण प्रकाश नेमनो प्रगट थर्ध गयेल छे.
(४) अर्मनो ऽयरो पूरेपूरो जाणी नांखेल छे.
प्रकाश,
(4) घन्त. वाहन विनाना सूर्यनो पूर्णा माटी विनानुं २४ डेरेटनुं शुद्ध सोनुं, डाहप-मेल विनानुं वनिर्मण वस्त, भूजधी जाणी नांखेल जावणनां वृक्ष (बे दूरी पाछां ज्यारेय नहीं उगी राडे) तेनां समान- तुल्य 'मुक्त खात्मा' उपाय.