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Date
५. साधु-साध्वीभ लगयंतोने पाए 'धयुं पडे छे. तेथी, समनु-विवेकी श्रायडोखे खापो जोटो आग्रह राजयो उचित नथी. ज्ञानी लगवंतोखे श्रावोने, पू. साधु-साध्वीभूनां 'हितचिंतङ माता-पिता' तरीडेनुं जिह खायेल छे. तेथी, खाधादुर्भी- होषित गोयरी पहोर पानी मोटो होष ५. साधु-साध्वी न लागे तेवी अजभु-भगृति, श्रापड- श्राविडाखोखे राजवी खत्यंत ४३री छे. पू. साधु-साध्वी ने डोर्घ होष न लागे खेवी डाजम राजे, तेभने ४ सम-विवेडी श्रावो तरीडे ज्ञानी लगवंतो खोजजाये छे. मांहगी खाहिँ विशेष डाराग होय जने डॉटर खाहिनी सूचना प्रमोनी वस्तु, साधु साध्वील माटे श्रावको बनाये रखने पहोराधे, ते नही 1. पात छे.. खायां विशेष अराएगी खायी पडे त्यारे ५. साधु-साध्वीन माटे जनावेस छुट भ्युस, सूप खाहि हवा माटे जनावीने, वहोरावणामां श्रापडीने घणो साल थाय छे. परंतु, विशेष डारग विना, मात्र लाल १ जेवानां खारायथी, . पू. साधु-साध्वीन भाटे special खेडपए। वस्तु जनावाय नहीं, पहोशवाय नहीं..
खारीते, रोहा भवनमां यालती खग्निडायनां भवोनी ' direct indirect विराधनाथी जयवानो राज्य नेटलो प्रयत्न दुरभे.
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खेड योजानां घएां नेवडां खग्निमां अथवा जग्निनां खेड तालुखामां के अग्निडायनां भुवो होय छे, ते हरेडने भे जसजस नेवडां. डरवामां आपे, तो खाजा जुद्वीयमां पए। तेजो समाय नहीं. जलनत्त, तेरसां जधां अग्निडायनां भुवो मात्र खेड तएाजामां होय छे. ग्रेस, पीजीथी यासती लाईट, पंजा वगेरेनो बेशम उपयोग, डेटली घोर हिंसानुं डाराग छे, ते भरा शांतिथी वियारमे रखने राज्य खेटलं. विराधनाथी खरडवानो प्रयत्न डरभे..
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(23) वणी अग्नि 'सह' होयाथी, भ्यां खग्नि होय त्यां अन्य स्थावरडाय -खने प्रसदाय, भवानी विराधना पाए। संलवित छे. तेथी खग्निडायनी विराधनाथी जयपाना माध्यमथी, साधे-साधे अन्य स्थापर तथा प्रसाय भुवोनी विराधनाथी पए। जयी न्यानो ताल भजे छे. खाने डोर-जेलना व्यराश द्वारा, जिन३री खसंख्य तेउडायनी
(হ)
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