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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-३/१४
अपने मोक्ष की बात सुनकर किसे आनंद नहीं होगा ? बंदर भाई के तो आनंद का पार न रहा, वह प्रतिदिन उत्कृष्ट से उत्कृष्ट भावना भाने .... जैसे कोई मनुष्य हो.... और मोक्ष प्राप्त करने वाला हो । अन्त में वह बंदर मरकर मनुष्य हुआ और भोग- भूमि में जन्मा, राजा और रानी के जीव भी वहीं जन्मे थे ।
लगा....
एक बार वे सभी बैठकर धर्मचर्चा कर रहे थे। तभी आकाश से दो मुनिराज वहाँ उतरे.... और अनेक प्रकार से धर्म का उपदेश दिया और
आत्मा का स्वरूप समझाया ।