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0000000RTED निर्भय थयो तुज दर्शने भयों बधा नाशी गया, ज्यां आपनुं शरणुं मल्यु, दुःखो बधा दूरे थयां; ज्योती स्वरूप तुज रूप जोतां अक्षय खजानो मली गयो, मने लागे छे के आज हुं संसार सागर तरी रह्यो...॥
रविवार आनंदनो अवधि नथी तमने ज़ोया में ज्यारथी, अंतरतणी खुशबु खीली अनुराग वघ्यो मने आपथी; आदि अनादिथी खोळ तो अक्षय खजानो आपने, एकरार आजे प्रभु माहरे के आजथी मारे तमे.....॥
आ बालनो जो वाळ वांको थाय तुज होते छतां, तो आळ मूकीने हुं कहुं मुझने नथी संभारता; हे नाथ पारस तुज कने हुं मा गणी करूं मांगणी आ बाळने बोलावजे तारी कने घणा प्यारथी...॥
शम कोटि कोटि वार वंदन नाथमारा हे तने. हे तरण तारण नाथ तुं स्वीकार मारा नमनने; हे नाथ शुं जादु भर्यु अरिहंत शब्दोच्चारमां, आफत बधी आशीष बने तुज नाम लेतावारमा...॥