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मालव देशदीपकःपरम पू. वयोवृद्ध साध्वीजी मनोहरश्रीजी म.की
जीवन ज्योति इच्छा जागी आज फिर, करके यही विचार । मनोहरश्रीजी महाराज का, जीवन लिखू विचार ॥ संयम को ग्रहणकर आपने, किस प्रकार धर्म दीपाया है। भवभीरु महिलाओं को, सच्चे दिल से अपनाया है।
श्री जैन श्वेताम्बर धर्मोतेजक महिला मंडल इन्दौर कि आग्रह भरी विनंती से हम पूज्य गुरुदेव का संक्षेप में जीवन चरित्र लिखने को उत्सुक हुये है:
बाल्यावस्था __पूज्य गुरुदेव का जन्म मध्य-प्रदेश का प्राचीन तीर्थ श्री मक्सीजी के पास वांकाखेड़ी में श्रीमान लक्ष्मणजी संकलेचा अओसवाल की धर्मपत्नी श्रीमती मानकुवरबाइ कि कुक्षी से मिती आसोज सुदी आठम गुरुवार संवत् १९४९ को प्रातःकाल दस बजे जन्म हुआ और नाम मिश्रीबाई रखा गया। माता पिता ने प्रेम पूर्वक लालन पालन किया। पू. गुरूदेव कि दो बड़ी बहिन उनके नाम रूपाबाई और दोलीबाई था, एक भाई थे उनका नाम हजारीमलजी था। इनको छोटी अवस्था में छोड़कर माता पिता स्वर्ग गये फिर इनकी बड़ी बहिन ने इनका रक्षण किया।