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________________ (४४) सामायिक पारवानो विधि १. प्रथम मेक 'समासमण' दईने 'इरियावही' सूत्र कहे. २. पछी 'तस्स उत्तरी' 'भन्नस्थ' कही (चंदेसु निम्मलयरा सुधी) अंक लोगस्सनो अथवा चार नमस्कार मंत्रनो काउसग्ग करवो. पछी काउसग्ग पारीने ३. प्रगट 'लोगस्स' कही भेक 'खमासमण' देवु. पछी : ४. 'इच्छाकारेण' संदिसह भगवन् ! मुहपत्ती पडिलेहुँ ? 'इच्छं' अम कहीने मुहपत्ती पडिलेहधीः पछी : ५. मेक 'खमासमण' दईने 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन ! सामायिक .. . पारुं ?' 'यथाशक्ति' अम कहीने : ६. 'खमासमण' दइ 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक पायु ?' 'तहत्ति' अम कहीने : ७. जमणो हाथ चरवला अथवा कटासणा उपर स्थापीने अक नवकार गणि 'सामाय-वय-जुत्तो' सूत्र कहेg. ८. पछी जमणो हाथ सघळो राखी भेक नवकार गणी स्थापनाचार्य योग्य स्थाने मुकवा. उपरा उपर बे के त्रण सामायिक करी शकाय, तेमां सज्झाय करूं' ने बदले 'सज्झायमां छु' मेम कहे, पण दरेक घखते सामायिक पारवू नहिं, १ थी वधारे सामायिक करवा होय तो वे पूरा थये अने व्रण करवा होय तो ऋण पूरा थये, भेक वार पारवं. जो अकी साथे माठ-दस सामायिक करवा होय तो पण त्रण-त्रण सामायिक पूरा थये पारवा. पण लेवा जरुरी छे. 888
SR No.032202
Book TitleChovish Jina Prachin Stuti Chaityavandan Stavan Thoyadi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Vidyarthi Kalyan Kendra
Publication Year
Total Pages58
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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