________________
जैनागमका सम्यक् प्रकार योगोवहन भी किया, अतएव अमदाबाद नगर में श्री दयाविमलजी म. प्रमुख श्रीसंघने आपकों सं० १९५६ में “पंन्यास श्री यशोमुनिजी गणि" इस पदवी से विभूषित कियेथे.
बालुचर मक्सोदाबाद निवासी श्री संघने " श्रीमद जिनयशः सूरिजी महाराज" यह आचार्यपदकी स्थापना सं० १९६९ जेठ सुदि ६ को की थी.
सं० १९७० श्री पावपुरी (चरमतीर्थकर श्रीमहावीर प्रभु का निर्वाण प्राप्तिस्थान अति पवित्र तीर्थ भूमि ) में ५३ उपवास की तपस्या सहित श्रीवीर प्रभुका स्मरण करते हुए उन्हीके ध्यान में काल करके आप देवलोक में प्राप्त हुए, परिचय के लिये आपका चित्रभी इस पुस्तकमें रक्खा है.
कल्याण श्री