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[ १२५ ] नीलो ॥ जगपति कोई उपाय बताव, जेम करे शिव वधु कंतलो ॥ ४ ॥ नरपति उज्जल मागशिर मास, आराधो एकादशी ॥ नरपति एकसो ने पचास कल्याणक तिथि उल्लसी ॥ ५॥ नरपति दश क्षेत्रे त्रण काल, चोवीशी त्रीसे भली ॥ नरपति नेवू जिनजीनां कल्याण, विवरी कहुँ आगल वली ॥ ६॥ नरपति अर दीक्षा नभि नाण, भल्लि जन्म व्रत केवली ॥ नरपति वर्तमान चोवीशी, मांहे कल्याणक आ फली ॥ ७॥ नरपति मौनपणे उपवास, दोढसो जपमाला गणो॥ नरपति मन वच काय पवित्र, चरित्र सुणो सुव्रत तणो ॥८॥ नरपति दाहिण धातकी खंड, पश्चिम दिशे ईषुका रथी ॥ नरपति विजय पाटण अभिधान, साचो नृप प्रजापालथी ॥ ६ ॥ नरपति नारी चंद्रावति तास, चंद्रमुखी गजगामिनी ॥ नरपति श्रेष्ठी शुर विख्यात, शीयल सलीला कामिनी ॥ १० ॥ नरपति पुत्रादिक परिवार, सार भूषण चीवर धरी ।। नरपति जाये नित्य जिनगेह, नमन स्तवन पूजा करे ॥ ११ ॥ नरपति पोषे पात्र सुपात्र, सामायिक पोसह करे । नरपति देव वंदन आवश्यक कालवेलाए अनुसरे ॥१२॥
(१) श्री आदि जिन स्तुति
(१) श्री सिद्धाचलमंडण, ऋषभजिणंद दयाल, मरुदेवानंदन, वंदन करु त्रण काल; ए तीरथ जाणी, पूर्व नवाणुं वार, आदीश्वरआपक,कलाकासम्मान समार