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एकवीश वार रे, ए जुवे अष्ट भवे शिव प्यारी. भाख्या० १० गीत गान वाजिंत्र बजावे, प्रभुजीनी आंगी रचावे रे, करे भक्ति वार हजारी भाख्या. भाख्या० ११ एवा अनेक गुणना खाणी, ते पर्व पर्युषण जाणी रे सेवो दान दया मनोहारी. भाख्या० १२
(37) श्री पर्युषण पर्व- स्तवन रीझो रीझो श्री वीर देखी शासनना शिरताज। हरखो हरखो आ मोसम आवी पर्व पर्युषण आज...री० ॥१॥ प्रभुजी देवे पर्षदा मांही, उत्तम शीक्षा एम, आळसमां बहु काळ गुमाव्यो, पर्वन साधो केम...री० ॥२॥ सोनानो रंजकण संभाळे जेम सोनी एक चित्त; तेथी पण आ अवसर अधिको, करो आतम पवित्र...री० ॥३॥ जेनी माटेनिशदिन रखडो, तजी धरमना निम, पाप करोतो शिरपर बोजो, तो व्याजबी कीम...री० ॥४॥ कोईन लेशे भाग पापनो धननो लेशे सर्व; परभव जाता साथ धर्मनो, साधो आ शुभपर्व...री० ॥५॥ संपीने समताए सुणजो, अठ्ठाइ व्याख्यान, छठ करजोश्रीकल्पसूत्रनो, वार्षिक अठ्ठम जाण...री० ॥६॥ निशिथ सूत्रनी चूर्णिमांहे, आलोचना वखणाय, खमीयेहोंशेसर्वजीवने, जीवन निर्मळ थाय...री० ॥७॥ उपकारी श्री प्रभुनी कीजे, पूजा अष्ट प्रकारी, चैत्य जुहारो गुरू वंदीजे, आवष्यक बे काळ...री० ॥८॥ पौषध चोसठ प्रहरी करतां, जाये कर्म जंजाळ; पद्म विजय समता रस झीलो, धर्मे मंगळ माळ...री० ॥६॥
(38) श्री वीरभगवान- २७ भव- स्तवन जंबुद्विपे अपर विदेह, ग्रामाधिप नयसार ॥ श्रावक धर्म आराधी सोहमे, एकपल्य सुर सारेरे ॥ हमचडी, ||१॥ नाम मरिचि भरततणो सुत, मुनि थई थयो त्रिदंडी ॥ लाख चौराशी पूर्व आयुष्ये, बंभलोके सुरमंडीरे ।। हमचडी, ॥२॥ एकलाख पूर्व- जीवित, कोशिक द्विज सुतथयो देवी ।। थुणापुरी ए द्विज लींगी, बहोतेर पूर्वलाख जीवीरे । हमचडी, ॥३॥ सौधर्मे सुर अग्निद्योत, द्विज, चौसठ लाख पूरव आयु, थुणापुरी ए द्विजलींगी छप्पन पूर्वलाख आयुरे ॥ हमचडी, ॥४॥ सनतकुमारे भारद्विजे, चुंमालीश लाख पूर्व आयु, माहेन्द्र सुर तिहांथी बहुभव, अंते त्रिदंडी थायरे ।