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नेमने मेहेली होके०...पा०...न करुं बीजो साहेली होके०...पा०... हवे मन वैरागे वाली होके०...पा०...राजीमती रामा बाली होके०...पा०...|७|| सुण प्रीतमजी गुण राता होके०...पा० तु अरथी जनने दाता होके०...पा०...मोरी * याचना भंग ते कीधो हो के, पा० हाथ उपर हाथ न दीधो होके०...पा०...॥८॥ पण मे मन निश्चय करीयो होके०...पा०...जो कर पर हाथ न धरीयो होके०...पा०...संजम ले| पियु हाथे होके०...पा०...तव हाथ मेलावीश माथे होके०...पा०...॥६॥ इम राजुल रंग भर कहे छे हो के, पा०.. निज समता घरमां रहे छे होके०...पा०...रथवाळी पंथ चलाव्यां होके०...पा०...कहे वीर प्रभु घर आव्या होके०...पा०...॥१०॥
(ढा. १६) हवे वरसीदान ते दीधुंजी जिनवर जयकारी० श्रावण सुदी छठे लीधुंजी; जिनवर जयकारी० सहसावन संयम धारीजी जि० छठ भक्त प्रभु अणगारीजी...जि० ॥१॥ पंचावनमें दिनमानजी, जि० प्रभु पाम्या केवलज्ञानजी; जि० शिवसुंदरी विवाह कीधोजी जि० निज ज्ञानतिलक शिर दीधोजी०... जि० ॥२॥ राजुल अमृत दोय शोक्योजी, जि०. अण मेल्ये लगन दिन रोकयोजी; जि० दोयने मेल होशे जयारेजी, जि० शिव वरसे जिनवर त्यारेजी०... जि० ॥३॥ अम कवि घटना गुणखाण, जि० जिन ज्ञान वर्या सुर जाणीजी; जी० इन्द्रादिक आवी वंदेजी० जि० रच्यु समवसरण आनंदेजी०... जि० ॥४॥ कृष्णादिक वंदन आवेजी, जि० राजुलने हरख न मावेजी; जि० प्रभु वाणी सुधारस पीधीजी, जि० दोय सहसे दीक्षा लीधीजी०... जि० ॥५॥ वरदत्त आदि नृप जाणोजी, जि० पूछे त्रिहुं खंडनो राणोजी; जि० जे राजीमति वडभागीजी, जि० ओवडी किम तुमची रागीजी०... जि० ॥६॥ कहे शंकर-सुण हरि तेहजी, जि० मुजY नव भवनो नेहजी; जि० अमे पहेले भव संसारीजी जि० धनराजा धनवती नारीजी०... जि० ॥७॥ सौधर्मे देवा बीजेजी, जि० नरनारी हुआ भव बीजेजी; जि० नाम चित्रगति रलवतीजी, जि० माहेन्द्रे अमर ते युतुजी०... जि०.. ॥८॥ अपराजित ने प्रीतिमतीजी, जि० आरण्ये देवा नेह अतिजी; जि० शंखराय यशोमती हितेजी, जि० भव आठमे अपराजितेज़ी०... जि०
॥६॥ नवमें हुं राजुल अहजी, जि० नव भवनो भाख्यो नेहजी; जि० अम । कही विचरे जिनरायजी, जि० कहे वीर हरि जायजी०... जि० ॥१०||