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________________ 342 (27) श्री नेमनाथ जिन स्तवन (राग : केम रे विसारी) ना करीए रे मेळा ना करीए रे, निगुणा | मेळो ना करीए, अमे रोई रोई आँखडीमां नीर भरीए.... निगुणा० (१) प्रेम निरवही प्रेमी जननो, अविचार्यु डग ना भरीये (२) नि० २ जादवजान सजीने यदुपति, तोरण आवी केम फरीए (२) नि० ३ संयमनारी व्हाले कीधी प्यारी, राजुल मूकी भरदरिये (२) नि० ४ अम अबळानी सामु निरखो, विरह जलधिथी केम तरीये। ५ जोबनवय केम करी निरगमी, लोकलाजथी घणुं डरीये (२) नि० ६ दिलरंजन प्रभु दिलमां धरीये, निशदिन अवलाईमां मरीये । ७ चतुर थइ अवसर शुं चूको, अमृत सुखरंगे वरीए (२) नि० ८ (28) श्री नेमनाथ जिन स्तवन (राग : मेरे मनकी गंगा) पांच वरसना नेमजी पाटी, लइ भणवा जाय, नेमजी तारी घुघरी रणक झणक वागे.... हो० (२) १ एक दिन शाळाने विचार आव्यो, भोजाईओने घेर रमवा जाय पांच-सात भोजाई भेगी मळी, कांई परणो राजुलनार (२) १ नेम छबीला तोरण आव्यां, पशुए मांड्यो पोकार, नेमजीए एमना साळाने पूछ्युं, तुम घेर शुं आचार (२) २ रात्रे राजुल बेनी परणशे, सवारे गौरव भोजन देवाय, नेमजीए रथ पाछो वाळीयो, जइ चढ्या गढ गिरनार (२) ३ झरमर झरमर मेहुलो वरसे, भीजाई राजीमतिना चीर, गुफामां जइने चीर सुकाव्यां, दियर दीठा अंग (२) नेमजी ४ नेम छे काळाने लचकाळा, हुं हुं तेमनो भाई, फिट फिट दियर आवं शुं बोलो, रत्नचिंतामणी पास, (२) ५ सहेसावन जइ संयम लीधो मुक्तिपुरीमा जाय, हिरविजय गुरु हिरलो रे लब्धि विजय गुण गाय (२) नेमजी० ६ (29) श्री नेमनाथ जिन स्तवन (राग : दुखडा निवारो मारा) अष्ट भवांतर वालहो रे, तुं मुज आतमराम, मनरावाला; मुगति नारीशुं आपणे रे, सगपण कोई न काम ।म०। १-घरे आवो हो वालम घरे आवो, मारी आशाना विसराम; म० रथ फेरो हो साजन रथ फेरो, हो साजन माहरा मनोरथ साथ, म० नारी पखो शो नेहलो रे, साच कहे जगनाथ; म० इश्वर अरधांगे धरी रे, तुं मुज झाले न हाथ ।म०। २ पशु जननी करुणा
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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