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मोरा० (३) भवमां भमतां जोयो में तो तुज सरीखो देव, दीठो तेना कारणे हवे निश्चल करवी सेव, मोरा० (४) ज्ञान-विमल प्रभु ते दियो रे, महेर करो महाराज आटला दिने लेखे गयाने, सफळ थयो अवतार मोरा० (५) (3) श्री वासुपूज्य जिन स्तवन (राग-मैं तो भूल चली....)
में छोडी और की आश, चाहु. तुम सेवा महाराज० (१) वासुपूज्य पंचमी गति पामी, और में है बहु खामी, तुमे तोडी मोह की पास, चाहुं तुम सेवा महाराज० (२) धनुष तीर गदा चक्रना धारी, कामिनीने संग काम विकारी, ते देव नहीं कांई लाज, चाहुं तुम सेवा महाराज० (३) जवमाला भले रुद्रनी माला, भोग लेवा अति है विकराला, तुम छोडो ते देवनो ख्याल, चाहु तुम सेवा महाराज० (४) भोगविकार ते सघळा स्वामी, तुम भये वासुपूज्य जग स्वामी तुं देवनो देव कहेवाय....चाहुं तुम सेवा महाराज० (५) वासुपूज्य सम देव न दूजो, सुरतरु छोडी बाउल मत पूजो जेथी मनवांछित फल थाय, चाहुं तुम सेवा महाराज० (६) आतम आनंद देजो भारी, इनमे शोभा है प्रभु तारी तुं, 'विरविजय'ने तार, चाहुं तुम सेवा महाराज० (७) (4) श्री वासुपूज्य जिन स्तवन (राग - शुं ये तारुं मंदिर)
श्री वासुपूज्यजी साहिब मारा, प्रभु लागो छो तुमे प्रेम प्यारा, साहिबा जिनराज हमारा, मोहना जिनराज हमारा, तनमन चित्त वळग्युं तुमशुं, हवे अंतर राखो किम अमशुं० (१) दासनी आश पूरो प्रभु प्यारा, जो नाम धरावो छो जगदातार, अकल लीला तुज पासे जे स्वामी, हित आणी दीजीए अंतरजामी० (२) एटली विमासण शी छे तुजने, ए तो वांछित देता स्वामी मुजने, खोड खजानो नहीं पड़े ताहरो, अक्षय खजानो होशे माहरो० (३) भलो मूंडो पण पोतानो जाणी, वळी करुणानी लहेर मनमां आणी, अमने वांछित देजो प्रभु, हेत धरीने सामुं जो जे० (४) वारंवार कहुं हुं तुमने, सेवाफल देजो स्वामी मुजने, प्रेम विबुधना भाणने प्रभुजी, तुम नामे दोलत चढती विभुजी० (५) (5) श्री वासुपूज्य जिन स्तवन (राग - श्याम तेरी बंसी) स्वामी तुमे कांई कामण कीg, चितडं हमारुं चोरी लीधुं, साहिबा