________________
सीमंधरस्वामीना दर्शन करुं। एमनी मधुरी देशना सांभखें, भाव चारित्र प्राप्त करुं, प्रभु मारा मस्तके हाथ मूके बस.....तो तो मारा आनंदनी कोई अवधि नहि रहे, पछी तो मोक्ष नक्की थवानो थवानो ने थवानो ज।
प्रभुजी मांगु तमारी पास, मारी पूरण करजो आश, मांगी मांगीने मांगु छु प्रभु एटलुं, मने आवतो भव एवो मलजो। देव गुरु-धर्म पासे नम्र अरजी आ सुवर्ण संयम शताब्दिनां अवसरे एवी याचना करती चरण सेविकानी आशा हे परमात्मा ? हे....सुरीदेव.....हे... गुरुदेव...पूरी करजो आ भवसमुद्रथी जहाज कीनारे लावजो. एवी प्रार्थना हृदयमां धारी. भव समुद्र पार उतारजो शिवपुरीमा स्थान आ अज्ञानीने मळे।
बस ए ज भवदीया सा० दिनमणिश्रीजी
-