________________
186
( 52 ) श्री सिद्धाचल स्तवन
डुंगर ठंडोने डुंगर शीयळो, ए - गिरि सीध्या साधु अनंतरे, डुंगर पोलोने डुंगर फूटडो, त्यां वसे सुनंदानो कंत रे, प्रभुजीना शीरे चडे मोगर फूलनां १ पहेले आरे श्री पुंडरिकगिरि, एंसी जोजननुं परिमाणरे, बीजे सीत्र जोजन जाणीए, त्रीजे साठ जोजननुं मान । प्रभु० २ चोथे आरे पचास जोजन जाणीए, पांचमे बार जीजननुं मान, छठ्ठे आरे सात हाथ जाये, एम बोले श्री वर्धमान रे प्रभु० ३ ए गिरिऋषभ जिणंद समोसर्या, पूर्व नव्वाणु वार, जात्रा नव्वाणुं जे जुगते करे, धन धन तेहनो अवतार रे प्रभु० ४ जे नर शेत्रुंजो भेट्यो सही, जे नर पूज्या श्री आदि जिणंदरे, दान सुपात्रे जेणे दिधा नवी, तेना नवी छूटे कर्मना बंध रे, प्रभु० ५ डुंगर निरखी डुंगर जे चडे, डुंगर फरस्यां सो सो वाररे, मुक्ति सामाते पगला भरे, तेना नवि थाय कर्मना बंधरे, प्रभु० ६ उदय रत्ने कहे अवसर पामी, जात्रा करशे जे नरनार रे, शत्रुंजय महातममां कह्युं, तस घर मंगलनी माळ रे, प्रभुजीना शीरे चडे मोगर फूलनां...७
( 53 )
श्री सिद्धाचल स्तवन
मारूं डुंगरीये मन मोही रहयुं, मारूं गिरिवरीये मन मोही रह्युं, जग जीवन आदि जिणंद हो, माता मरूदेवी नो लाडलो, साधे सुनंदा हियडानो हार हो, मा० १ लालन चालोने चतुर उतावला, सुंदर सजवाडी जोडावहो, लालन लाहो लीजे लक्ष्मी तणो, मने विमलाचल भेंटाव हो, मा० २ लालन सेंथो नित्य फूले भर्यो, सोनां चुडलानो नथी मने चाहहो, लालन जोता हवे हुं वाटडी, मने शत्रुंजय भेटाव होमा० ३ लालन नव शेरो हार हुं शुं करूं ? हुं शुं करूं ? चारम चीर हो,....लालन शुं करू बाजु बंध बेरखा, मारे कांकरीये निर्मळ नीर हो, मा० ४ लालन इणगिरि ऋषभ समोसर्या, एकनेम विना विश हो,... लालन पांच पांडव मुक्ते गया, व्रतधारी कोडी वीश हो, मा० ५ लालन पांच कोडी पुंडरिकशुं, एतो सिध्या साधु अनंत हो; लालन द्राविड वारिखिल्ल बिहुंमली, दश क्रोड मुनीनी साथ हो, मा० ६ लालन धन्य दहाडो धन्य घडी, जिहां नाभिनरिंद मल्हार हो, लालन