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तेरशे, शांब प्रद्युम्न कहेवाय; साडी आठ क्रोड मुनिवर्स, शेजूंजे शिवपुर जाय. छेला नारद ओकाणुं लाखथी रे, गिरि उपर वर्या शीवनार. नमो० १० (साखी) गई चोवीशीना प्रभु, बीजा निर्वाणी नाथ; तेणे कदम्बगिरि बोलता रे, जेना नामथी नवनिध थाय. नमो० ११ (साखी) ओम असंख्या मुनिवरू, ओ तीरथ मोझार; सिध्या ने वळी सिद्धशे, महिमा अपरंपार. भाखे दान दया पंन्यासनो रे, शिष्य सौभाग्यविमल सुखकार. नमो नमो नेह धरी गिरिराजने रे....१२
(29) श्री सिद्धाचल स्तवन सिद्धाचलना वासी, विमलाचलना वासी; जिनजी प्यारा! आदिनाथने वंदन हमारा. प्रभुजी- मुखर्छ मलके, नयनोमांथी वरसे अमी रसधारा; आदि० १ प्रभुजी- मुखडुं छे मलक मिलाकर, दिलमें भक्तिकी ज्योत जगाकर; भजले प्रभुने भावे, दुर्गति फरी न आवे; जिनजी प्यारा आदि० २ भमीने लाख चोराशी हुं आव्यो, पुन्ये दरिशन तुमारूं पाम्यो; धन्य दिवन मारो, भवना फेरा टाळो, जिनजी प्यारा! आदि० ३ अमे तो मायाना विलासी, तुमे तो मुक्तिपुरीना वासी, कर्मबंधन कापो, मोक्षसुख आपो; जिनजी प्यारा! आदि० ४ अरजी उरमां धरजो अमारी, अमने आशा छे प्रभुजी तुमारी; कहे हर्ष हवे, साचा स्वामी तुमे, पूजन करीओ अमे, जिनजी प्यारा! आदिनाथने वंदन हमारा. ५
(30) श्री सिद्धाचल स्तवन दादा आदिश्वरजी दूरथी आव्यो, दादा दरिशन द्यो; कोई आवे हाथी घोडे, कोई आवे चडे पलाणे, कोई आवे पगपाळे, दादाने दरबार, हां हां दादाने दरबार; दादा आदिश्वरजी दूरथी आव्यो, दादा दरिशन द्यो. १ शेठ आवे हाथी घोडे, राजा आवे चडे पलाणे; हुं आवु पग पाळे, दादाने दरबार, हां हां दादा ने दरबार, दादा आदिश्वरजी० २ कोई मूके सोना रूपा, कोई मूके महोर; कोई मूके चपटी चोखा, दादाने दरबार. हां हां दादाने दरबार, दादा आदिश्वरजी० ३ शेठ मूके सोना रूपा, राजा मूके महोर; हुं मुकुं चपटी चोखा, दादाने दरबार. हां हां दादाने दरबार, दादा आदिश्वरजी० ४ कोई मांगे कंचनकाया, कोई मांगे आंख; कोई मांगे चरणोनी सेवा, दादा ने