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नाभिनंदन जिन पूजो, समेत-शिखर अष्टापद प्रणमो, अ सम अवरन दूजो, निरखो० ५ सहस्त्रकुट ने मेरू गिरिवर, पगलां रायण हेठे, चौदसे बावन गणधर पगलां, नमतां पातिक नाठे. निरखो० ६ इत्यादिक बहु चैत्य निहाळी, उत्तम भविजन हरखे, पद्म कहे ए आतम कीनो, अ जिनवरजी सरिखो. निरखो प्रभु देदार, लहिये भव निस्तार...७
(15) श्री सिद्धाचल स्तवन ( राग
रंगाई जाने रंगमा )
में भेट्यां नाभिकुमार, में भेट्यां मरूदेवानंद, मेरी अखियां सफलभई, मेरा नयनां सफल भये. १ तीरथ जगमां छे घणां रे, तेहमां अक छे सार, शेत्रुंजय समो तीरथ नहीं रे, तुरत करे भवपार, मे० २ युगलाधर्म निवारीयो रे, तीन भुवन तुं सार, सोवन वरणी देह छे रे, ऋषभ लंछन मनोहार. मे० ३ सोरठमंडन तुं धणी रे, सकल करम करे दूर, केवळलक्ष्मी पामवा रे, वांछित लीलानूर मे० ४ सुरत निरखी ताहरी रे, आनंद अधिक अपार. उज्वलगिरि राजा प्रभु रे, आवागमन निवार. मे० ५ गिरिवर फरशुं भावशुं रे, सफल कीधो अवतार, श्री जिन हरख पसायथी रे, संघ सदा सुखकार. मे० ६ माधमास सोहामणो रे, सुद बीज रविवार, संवत अढार बासठमां रे, यात्रा करी हितकार. मे० ७ घणा दिवसनी चाह हती प्रभु, देखण तुज देदार, रत्न सुंदर पाठक भणे रे, वर्त्यो जय जयकार. मे भेट्या नाभिकुमार, मे भेट्यां मरुदेवानंद ...
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(16) श्री सिद्धाचल स्तवन पालिताणानुं ( राग द्वारा पुरीनो नेम
डुंगरे डुंगरे रे तारा देहरा, डुंगर उपर कीधो तुमे वास रे, आदिव दादा (आंकणी) चडती राखो रे जैनधर्मनी १ नाभिराया कुल चंदलो मरुदेवी छे तुमारी मात रे आदिश्वर दादा० २ भरतजी राज्यपाट भोगवे ऋषभजी चाल्या वनवास रे, आदिश्वर दादा० ब्राह्मी सुंदरी बे बेनडी बाहुबलीने वनमां कीधी जाण रे, आदिश्वर दादा० ४ पालिताणा नगर सोहामणुं, पर्वत उपर कीधो तुमे वासरे, आदिश्वर दादा० ५ आठे ट्रंको रळियामणी, नवमी ट्रंके कीधो तुमे वास रे, आदिश्वर दादा० ६ सुरजकुंड सोहामणी, चक्केश्वरीदेवी ने लागु पाय रे, आदिश्वर दादा० ७ केशर चंदन