________________
कोड जाग्यां। संपूर्ण परिवारने संयम रंगथी रंगी देवाना वैराग्यजळथी सिंचन करवाना उत्तम मनोरथ साथे सं० १६६६मा वर्षीतप चालु कोने परिवारने साथे लई पालीताणा जवा माटे तेम योग्य साध्वीजी म० पासे धर्मपलि, पुत्रीओने अभ्यासादिमां जोडवानी भावनाथी चंदनमलजीए छ विगय नो त्याग कर्यो। आवा उत्तम मनोरथ ज्यां होय त्यां सफलतामले ज तेम वैराग्य जळनुं सतत सिंचन थाय ने झंखना विकस्वर बने तेवा सुयोग्य साध्वीजी म० पासे अभ्यासादि माटे धर्मपनि पुत्रीओने गोठवी शांतिथी विधिपूर्वकनी नवाणुं यात्रा पोते करी ।
त्यारबाद सं० १६६६ पाटण अष्टापदजीनी धर्मशालामां प. पू. आ.दे. अमृत सू. म.नी निश्रामा पोते तेमज धर्मपनि तथा पुत्रीओने पू. आ. साध्वीजी म. नी निश्रामा रहेता -- वैराग्यभावना सुदृढ बनी हती। _सं. २००० राजनगर-अमदावादना ज्ञानमंदिरमा प. पू. आ.दे. प्रेम सू. म. सा. प. पू. राम वि. म. सा. पू. भानु वि. म. सा. आदिना चातुर्मास हतो ते समये चंदनमलजी कानुशीनी पोळमां सु. श्रा. केशवलाल मनसुखलालना मकानमा पोते चातु० रह्यां अने पतिना पंथे चालनारा एवा धर्मपनि तथा पुत्रीओ वैराग्यवासित बनी गया जाणी प. पू. प्रेम सू. म. सा. ने तेमाटे सुयोग्य स्थान बताववानी विनंती करता साध्वीजी समुदायतुं संयम साधनाने सुयोग्य संचालन ज्या थतुं हतुं ते एक वागड समुदाय छे तेम जणावतां ते समये पालडीमां बकुभाई शेठ जुना बंगले प. पू. चतुरश्रीजी म. सा., प. पू. निर्मळाश्रीजी म., प. पू. निर्जराश्रीजी म. आदिनी सुविहित निश्रामा पोताना धर्मपलि जतनाबेन अने बन्ने पुत्रीओ शांति-वसंतीने अभ्यासार्थे तेम संयमनी तालिम माटे राख्या हता। ते समये जतनाबेनने दिवसो जई रह्या हता पण एटला सुयोग्यने सरल आत्मा के गुरु. म.ना हृदय कमलमां वसी गया। त्यारे जतनाबेन कहे के मारी बन्ने बाळकीओने तो आप दीक्षा आपी द्यो । पण मने जे सन्तान जन्मे ते ८ वर्षनो थाय पछी तेने लई आपणी पासे आQ तो मने दीक्षा आपशो ने? ते समये पू. गुरुणीजी म० कहे अमो तो अत्यारे पण तैयार ज छीए। केवी योग्य पात्रता?