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प्रमोदीत थायजी, १ एक कोडीने साठ ज लाख, शृंगार उदके भरीयाजी, चंगेरी स्वस्तिक आठे अष्ट, मंगल आगल धरीयाजी, एणी परे महोत्सव करी अनुपम, चोवीश जिननां सूराजी, अट्ठाइ महोत्सव करी नंदीधर ठाम गया पून्य पूराजी, २ ज्ञान आराधो ज्ञानने साधो, ज्ञान विना नर ,गोजी, ज्ञान विना नर भूला भमतां, कासकुसुम पर शृंगांजी, कृत्य अकृत्य जीव साधन जाणे, जो हृदये ज्ञान दीवोजी, ज्ञान विना कोई पार न पामे, ज्ञानी पुरुष चिरंजीवोजी, ३ स्वर्गवासी स्वर्गभूवननी, गलेमोतीनी मालाजी, मातंग देवी सिद्धाई, वीर शासन रखवालीजी, संकट चूरे वंछितपूरे, देवी त्रुठी दयालीजी, धीर विमल कवि सानिध्यकारी, विशुद्ध देवी मयालजी, ४
(150) श्री महावीरस्वामीनी स्तुति वीर जिनेसर गुण गंभीर, गोयम जास वडो वजीर, मेरु समो वडधीर, टालण भवदुःख भव्य गंभीर, वाणी विषानल निर्मळनीर, वंदुश्री महावीर, १ अतीत अनागतने वर्तमान, तीर्थंकर प्रममुं बहुमान, राखी निर्मल ध्यान, सित्तेर सो उत्कृष्टाकाले, विहरमान वीश सुविशाले, वंदु हुं तिहुं काले, २ अंग अग्यारने बार उपांग, दश पयन्ना अतिही सुयंग, छ छेदे ग्रंथ उत्तंग, मुल सूत्र भण्या छे चार, सुणतां लहीए भवनो पार, नंदि अनुयोग द्वार, देवी सिद्धाइ समकित धारी, जिन शासननी छे रखवाली, श्री संघने सानिध्यकारी, भावे वंदो नरने नारी. जेम पामीजे संपत्ति सारी, राज विजय जयकारी, ४
(151) श्री महावीरस्वामीनी स्तुति ___ वीर जिनेश्वर साहिब साचो, दिवाळी दीन जपीयेजी, दुःख दोहग दौर्भाग्य ते हरे, पाप ताप सवि खपीयेजी, मिथ्यात्व छंडी सुमतिमाही, हेला हेजे हसीयेजी, परमेश्वर प्रभु प्रगट, पदने परमानंद परखोजी, १ सोल पहोरनी देशना सुंदर, सुणीये राय अढारजी, करूणा सागर करुणा नागर, नमीये ते नर नारीजी, वंदो भावे दुःख नावे, पामे सुख भवि प्राणीजी, त्रिशलानंदन जगजीवन, चोवीशे गुण खाणीजी, २ तिथि अमास ए कार्तिक वदनी, वीरे सवि दुःख काढ्याजी, पुठ्या प्रभुए एकावन, छत्रीश उत्तर आप्याजी, मोक्षे पहोंच्या ते वयणां कहेता, देवे दिवा कीधाजी, भव्य