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119 (121) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति सकल सुरासुर सेवे पाया, नयरी वाराणसी नाम सोहाया, अश्वसेन कुल आया; दशने चार सुपन दिखलाया, वामादेवी माताओ जाया; लंछन नाग सोहायाः छप्पन दिगकुमरी हुलराया, चोसठ इंद्रासन डोलाया, मेरुशिखर नवराया; नीलवर्ण तनु सोहे काया, श्री विजयसेन सूरीश्वर राया, पास जिनेश्वर गाया. १ विद्रुम वर्णा दोय जिणंदा, दो नीला दो उज्वल चंदा, दो काला सुख कंदा; सोले जिनवर सोवनवर्णा, शिवपुरवासी श्री परसन्ना, जे पूजे ते धन्ना; महा विदेहे जिन विचरंता, विशे पूरा श्री भगवंता, त्रिभुवन ते अरिहंता; तीरथ स्थानक नामुं ओ शिश, भाव धरीने विधावीश, श्री विजयसिंह सूरीश. २ सांभळ सखरा अंग अगिआर, मन शुद्धे उपांगज बार, दश पयन्ना सार; छेद ग्रंथ वली षट् विचार, मूल सूत्र बोल्यां जिन चार, नंदी अनुयोगद्वार; पणयालीश जिन आगम नाम, श्री जिन अरथे भाख्यां जाण, गणधर गुंथे ताम; श्री विजय सेन सुरीद वखाणे, जे भविका निज चित्तमां जाणे, तस घर लक्ष्मी आणे. ३ विजापुरमा स्थानक जाणी, महिमा म्होटें तुं मंडाणी, धरणींद्र धणीआणी; अहनिश सेवे सुर वैमानी, परतो पूरण तु सपराणी, पूरव पुण्य कमाणी; संघ चतुर्विध विघ्न निवारो, पार्श्वनाथनी सेवा सारो, सेवक पार उतारो; श्री विजयसेन सूरीश्वर राया, श्री विजयदेव गुरु, प्रणमी पाया, ऋषभदास गुण गाया. ४
(122) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति श्री शंखेश्वर पास जिणेसर, विनंति मुज अवधारो जी, दुरमति कापी समकित आपी, निज सेवकने तारो जी; तुं जगनायक शिवसुखदायक, तुं त्रिभुवन सुखकारी जी, हरि हितकारी प्रभु उपगारी, यादव जरा निवारी जी. १ श्री शंखेश्वर पुर अति सुंदर, जिहां जिन आप बिराजो जी, सुरगिरि सम अति धवल प्रासादे, दंड, कलश ध्वज राजे जी; चिहुं दिशि बावन जिनमंदिरमें, चोविशे जिन वंदो जी, भीडभंजन जगगुरु मुख निरखो, जिम चिरकाले नंदो जी. २ श्री शंखेश्वर साहिब दरिसन, संघ बहु तिहां आवे जी, धन केकी जिम जिनमुख निरखी, गोरी मंगल गीत गावे जी; आठ