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चोथु, पांचमु देशविरति, छठु प्रमत्त वखापुंजी, सातमुं अप्रमत्त प्रमाद परिहरीए, आठमुं अपूर्वकरण कहीएजी, ए उपदेश भुजमंडन, जिन, ऋषभ नमी सुख लहीएजी १ नवमुं निवृत्ति गुणठाणुं, तिम दशमुं सूक्ष्म संपरायजी अगियार{ उपशम मोह खपावी, बारमुं क्षीणमोह कहीएजी, तेरमुं सयोगी केवल पामी, चौदमुं अयोगी उदारजी, ए करीने जिन कर्म खपावी, सवि जिन थया सुखकारीजी, २ काल अनादि छ आवली, अंतर्मुहूर्त, सागर तेत्रीश जाणुंजी, पांचमुं छठे सातमु तेरमुं, पूर्व कोडी देशे उणुंजी, आठमांथी पांच-छ अंतर्मुहूर्त, पंच अक्षर भणीजे जी, सूत्र सिद्धांते ए अधिकार छ,। श्रवण धरी इम सुणीये जी, ३ आठ मांथी बे श्रेणी करे जीव, उपशम क्षपक जाणोजी, क्षपक श्रेणिथी सिद्ध लहेतिम, उपशम पातनी वाणीजी, ऋषभ चरण सेवी वरदेवी, चक्केश्वरी सुखदायीजी, विवेक विजय 'गुरू चरण सेवक तिम, मेघविजय वरदाईजी ४
(113) पंचतीर्थनी स्तति आदि आदि जिनेश्वर सुंदर, त्रिभुवन जन हितकारीजी, शांति करण श्री शांति महामुनि, नेमनाथ ब्रह्मचारीजी, पुरीषादाणी पार्थ प्रगटमल, महावीर उपगारीजी, ए पाचे पंचमगति दायक, वंदो सविनरनारीजी,... १ केताचंद्रकिरण परे उज्जवल, जिनवर अति अभिरामजी, नीलानीलकमल परे केता, अंजन परे केई श्यामजी, पद्मराग परे केत्ता राता, सोवन परे केई पीळाजी,पंच वरण इम सयल जिनवर, दीयो मुज शीवसुख लीलाजी,.... २ जयकर जीवदया पालीजे, जुळु नवि बोलीजेजी, वस्तु प्यारी जे अणदीधी, ते केम नविलीजेजी, मुल थकी मैथुन परीहरवू, परिग्रह चित्त न धरवोजी, ए पांचे व्रत जिहां उपदेशे, ते आगम अनुसरवोजी.... ३ सयल जिनेश्वरचरण सरोरूह, जेह, भ्रमर परे सेवेजी, सुरतरूपरे जेह सेवकने, वांछित संपत्ति देवेजी, जसकर वज्र विराजीत भासुर, जिम उदयाचल भाणजी, भावसुहंकर सुरपति करजो, जिनशासन कल्याणजी,....४
(114) अरिहंत स्तुति श्री अरिहंत ध्यावो, पुण्यना थोक पावो, सवि दूरित गमावो, चितप्रभु