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दिनकरश्रीजी म० सा० ना सुशिष्या परम श्रद्धया परम विदुषि
सा० श्री दिनमणिश्रीजी म० सा० ना ४७ वर्षना सुदिर्घ पर्यायने अनुलक्षीने, तेओश्रीना हैयामां एक मात्र भावना..............
देव-देवेन्द्रो, राज-राजेश्वरो, योगीश्वरोथी पूजित-वंदित-आराधित आ सिद्धाचल महातीर्थ, परम पवित्र पूज्यपाद गुरुवर्यश्रीना पुनित सांनिध्यमां ३०-३० श्रमण भगवंतो ४३० श्रमणी भगवंतोनुं विशाल परिवारने १६०० आराधको साथे संवत २०५६ ना आ चातुर्मासना सुवर्ण संभारणा रुपे, तेम परोपकारनी भावनाथी आम जनताने पण पूज्यपादश्रीना चींधेला प्रियाति प्रियतम भक्तिमार्गमां सहुकोईने जोडवानी तमन्ना ते माटे अमारा राजस्थानी समाजनी वारंवार हिन्दी पुस्तकनी मांग वधता अमारी मांगने नजर सामे राखी अमने प्रभुभक्तिमय बनाववा आ पुस्तक- संपादन के जेमां विविध प्राचिन स्तुति-चैत्यवंदन- स्तवनादिनो संग्रह हिन्दी भाषामां करी अमारा पर अमाप उपकार कर्यो छे ए उपकारनी भावनाना प्रतिकरूपे अमारा परिवारने आ पुस्तक मां यत्किंचित श्रुतभक्तिनो लाभ मल्यो छे ते बदल धन्यता अनुभवीए छीए ।
तेम आ पुस्तकनुं सुंदर रीते प्रीन्टींग करनार 'नीलम प्रीन्टरी' ना पण अमो आभारी छीए।
आशा छे जे आ पुस्तकना माध्यमथी भक्ति करशे ते अवश्यमेव मुक्ति मंझीलने समीप पहोंचशे।
तो चालो............. मिले मन भीतर भगवाननी शोधमां........... डूबकी लगावीए........... रसथाळमां.
धनेशभाई पी० जैन राजस्थान वांकली गाम भायखला
मुंबई-400 027