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दुजोजी. १ अभिनंदन जिन शान्ति जिनेश्वर, पास गोडीचा नीरखोजी; वडवा मांहे चंद्रप्रभ जिन. वदन देखी मन हरखोजी, इत्यादिक जिन बिंब नीहाली, अनुभव रसनी थाळीजी; भवोदधि तारण अधिको कारण, अर्थो जिनवर आलिंजी. २ समवसरणमां जिनवर भाखे, उत्पत्ति ध्रुव नाशजी; ते अनुसारे गणधर देवे. द्वादशांगी प्रकाशीजी; मिथ्या तिमिर निवारण हेते. दिनकर तुल्य आचारोजी; जिन पडिमा जिन आगम ओ वली, दुषम काले आधारोजी. ३ जिनमत भक्ता समकित युक्ता, उक्तां जिनवर देवजी; रमता जिनशासनमा जे भवि, करता तेहनी सेवजी; जिनपद ध्यावे तेहीज पावे, अक्षय पदनी ऋद्धिजी; मुनि गुण रसिया परथी खसिया, ते पामे गुण वृद्धिजी. ४
(38) श्री ऋषभदेवनी स्तुति श्री आदिश्वर तुं परमेश्वर, अलवेसर अरिहंताजी, नाभिराया माता मरूदेवी, नंदन श्री भगवंताजी, वृषभ लंछन पूरव चोराशी, लाख वरसनुं आयजी, वडनगरे श्री जिनवर सोहे, विमलाचल गिरिरायजी, १ ऋषभ अजित संभव अभिनंदन, सुमति पद्मप्रभ वंदोजी, सुपास ने चंद्रप्रभ सुविधि, शीतल श्रेयांस नंदोजी, वासुपूज्य विमल अनंतधर्म, शांति कुंथु अरनाथजी, मल्लि मुनिसुव्रत नमि नेमि, पास वीर शीवसाथजी, २ भरतादिक शुभ पर्षदा बेठी, श्री आदेश्वर आगेजी, इंद्रादिक सुरनर बहु मलीया, श्री जिनने पाये लागेजी, भवियणने गुणखाणी वाणी, गाजे गुहिर गंभीरजी, शीवपटराणी माने निसुणी, शासननायक धीरजी, ३ शासनदेवी तुं चक्केश्वरी, तुं त्रिपुरा सुखदाताजी, षट् दरिसन माने जे तेहना, वांछित पूरे माताजी, श्री वडनगरे चउविह संघना, संकट सघळा चूरेजी, वाचक देवविजय मन समरी, सुख संपत्ति भरपूरेजी, ४
(39) श्री ऋषभदेवनी स्तुति परम सुख विलासी, शुभ चिद्रुप भासी, सहज रुचि विकासी, मोक्ष आवास वासी, मद मदन विनाशी, विश्वथी जे उदासी, ऋषभ जिन अनासी, वंदी एते नीरासी । १। जिनवर हितकारा, प्राप्त संसार पारा, कृत कपट विदारा, पूर्ण पुन्य प्रचारा, कलिमल हितकारा, मंदिता नंग चारा, दुःख