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कारज संगीजी, हेय सुध्येय पदारथ पूरण, परमारथ प्रसंगीजी, ३ कोमल करणी कोमल वयणी, कोमल कदली गेहजी, कोमल भावे सेवक तारक, कोमल चरण सनेहीजी, शय्या कोमल करणी प्यारी, चक्केश्वरी श्रुतदेवीजी, ज्ञानविमलनो शिष्य सुज्ञान, शासननायक सेवीजी, ४
(33) श्री शत्रुजय स्तुति श्री विमलाचल गिरिवर कहीए, मोक्षतणो अधिकारजी, इणगिरि हुंता भविजन निश्चे, पाम्या केवलज्ञानजी, कांकरे कांकरे साधु अनंता, सिध्या इणगिरि आयाजी, कर्म खपावी केवल पाम्यां, थई अजरामर कायाजी, १ ऋषभ जिनेश्वर आदि मुणिंदा, पूर्व नव्वाणुं वारजी, इणगिरि उपर फरीफरी आया, जाणी लाभ अपारजी, भरत नरेशर प्रथम ज चक्री, प्रथम उद्धार जेणे कीधो जी, संघ चलावीने संघमाळ पहेरी, ते शीवसद्म लय लीनोजी, २ शैल मनोहर उपर सोहे, नाभि नरेसर नंदोजी, भविजन भावे नित प्रति सेवो, प्रत्यक्ष पुन्यतरूं कंदोजी, गिरिकंठे आव्या नेमि जिनेश्वर, आशातना मन आणीजी, इणिगिरि उपर पावन कीनो, सिद्धक्षेत्र एम जाणीजी, ३ पुंडरिक गिरिनो महिमा मोटो, गुणमणि रयण भंडारजी, भाव सहित नरनारी प्रणमे, सफळ करे अवतारजी, देवी चक्केश्वरी सानिध्यकारी, गौमुख जक्ष धन कोडी जी, विबुध प्रतापनो शिष्य ज प्रणमे, जिनेन्द्र विजय करजोडीजी, ४
(34) श्री ऋषभदेवनी स्तुति प्रह ऊठी वंदु, ऋषभदेव गुणवंत, प्रभु बेठा सोहे, समवसरण भगवंत; त्रण छत्र विराजे, चामर ढाळे इन्द्र, जिनना गुण गावे, सुर नरनारीना बुंद. १ बार पर्षदा बेसे, इन्द्र इन्द्राणी राय, नवकमळ रचे सुर, तिहां ठवता प्रभु पाय; देव दुंदुभि वाजे, कुसुम वृष्टि बहु हुँत, ओवा जिन चोवीश, पूजो ओकण चित्त. २ जिन जोजन भूमि, वाणीनो विस्तार, प्रभु अर्थ प्रकाशे, रचना गणधर सार; सो आगम सुणतां, छेदिजे गति चार, जिन वचन वखाणी, लीजे भवनो पार. ३ जक्ष गोमुख गिरवो, जिननी भक्ति करेव, तिहां देवी चक्केसरी, विघ्न कोडी हरेव; श्री तपगच्छ नायक, विजयसेन सूरीराय, तस केरो श्रावक, ऋषभदास गुणमाय. ४