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चोथे महाबलराय ||१|| सुर ललितांग इशानमां, वज्रजंग महाराज, सात युगलीक भवकरी, सौधर्मे सरेकाज ॥२॥ नवमे केशव वैद्यराज, दशमे अच्युत देव, वज्रनाभ चक्रीथई, सवार्थ सिद्धे देव ||३|| तेरमो भव ऋषभजी, आदिप्रभु अवतार, ज्ञानविमल गुण गावतां लहीये भवनोपार ||४||
(166) श्री वीर प्रभुना सतावीशभव का चैत्यवंदन
प्रथम भव नयसारनो, पहले स्वर्गेजाय, त्रीजे भवे मरिची बनी, पांचमें स्वर्ग सिधाय ॥१॥ पांचमें भवे त्रिदंडीयो, भमीयो बहु संसार, दशभव तिमहीज लयां, त्रिदंडी सुर अवतार ||२|| सोलमे भवे विश्वभूती, संयमआराधे, पितरीयो हस्यां थकी, नियाणुंबांधे ||३|| महाशुक्र सुरथई, त्रिपुष्ट वासुदेव, सातमी नारकी दुःख लह्यां, न करे कोई सेव ॥४॥ वीशमे सिंह एकवीशमें, चोथी नरकेजाय, बावीशमें नरभव, ते. वशमे, प्रियमित्र चक्री थाय ॥५॥ महाशुक्रे सुख भोगवी, बन्या ऋषीनंदन, वीशस्थानक तप आदरी, करे कर्म निकंदन || ६ || प्राणतकल्प लही बन्यां, वर्धमान जिनराय, ज्ञान विमल गुण गावतां, पामे त्रिभुवन राज ॥७॥