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८. अन्तराल में भटकती आत्माएँ
( अ ) अन्तराल की आत्माएँ
मृत्यु के बाद और पुनर्जन्म से पूर्व जीवात्मा को एक लम्बे समय तक शून्य अशरीरी रूप में भटकना ही पड़ता है। इस अवधि को " अन्तराल समय " ( ड्रीम पीरियड) कहते हैं । इसकी अवधि हर जीवात्मा की भिन्न-भिन्न होती है जो सैकड़ों वर्ष भी हो सकती है व तीन या तेरह दिन भी । कुछ का पुनर्जन्म उसी समय हो जाता है । यह नया गर्भ जीवात्मा की इच्छा पर नहीं बल्कि अपने कर्म संस्कारों एवं कामना के अनुसार अपने आप मिलता है । वासना की तीव्रता इसका मुख्य निर्णायक है ।
अन्तराल में तीन प्रकार की जीवात्माएँ रहती हैं - उत्कृष्ट, सामान्य एवं निकृष्ट । उत्कृष्ट आत्माओं को देवता तथा निकृष्ट को प्रेतात्मा कहते हैं। हिन्दू धर्म ने इसे भी " योनि " माना है । सामान्य आत्माएँ अपने कर्मों के अनुसार शीघ्र ही जन्म ग्रहण कर लेती है किन्तु देवात्मा एवं प्रेतात्मा को अपने अनुकूल गर्भ न मिलने से लम्बे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है । देवात्मा का जन्म आवश्यकतानुसार ही होता है ।
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