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मृत्यु और परलोक यात्रा
"इस सूक्ष्म शरीर को समाप्त कर दिया उसका जन्म-मरण नही होता । ___ यह सूक्ष्म शरीर न्यूट्रोन नामक कणों से निर्मित होता है। -ये न्यूट्रोन कण अदृश्य, आवेश रहित और इतने हल्के होते हैं
कि इनमें मात्रा और भार नहीं के बराबर होता है। ये भी 'स्थिर नहीं रह सकते और प्रकाश की तीव्र गति से सदा चलते रहते हैं। यदि इन कणों को किसी दीवार की ओर छोड़ा जाय तो ये दीवार को पार कर अन्तरिक्ष में विलीन हो जाते हैं। कोई भी भौतिक वस्तु इन्हें नहीं रोक सकती । परामनोवैज्ञा"निक खोजों के अनुसार यह सूक्ष्म शरीर किसी भी स्थान पर किसी भी परिणाम में अपने को प्रकट व पुनर्लय कर सकता
वैज्ञानिकों ने इस विषय में सफल प्रयोग भी किए हैं और पाया है कि इस स्थूल शरीर के भीतर एक और शरीर भी है जिसे "सूक्ष्म शरीर" या "भाव शरीर" कहते हैं । इसका प्रकाश स्थूल शरीर के इर्द-गिर्द चमकता रहता है । परामनोवैज्ञानिकों ने इस सूक्ष्म शरीर को देखा ही नहीं बल्कि इसके चित्र भी ‘लिए हैं। रूस के एक वैज्ञानिक दम्पति कीलियान तथा वेलेष्टिना ने मिलकर एक ऐसे कैमरे का निर्माण किया है जिससे मनुष्य व अन्य जीव जन्तुओं के सूक्ष्म शरीर के चित्र खींचे जा सके हैं । चैकोस्लोवाकिया के वैज्ञानिक ब्रेतिस्लाव ने परीक्षणों द्वारा सिद्ध किया है कि 'जब मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसके चारों ओर दिखाई देने वाला प्रभा मण्डल (ओरा) लुप्त हो जाता है। मृत्यु के समय उसकी लपटें और चिनगारियाँ शून्य में विलीन हो जाती हैं।" यह सूक्ष्म शरीर हर जीवित प्राणी तथा पेड़ पौधों में भी होता है।