________________
The greatest humbug in the world is the idea that money can make a man happy.
प्रिय मुमुक्षु 'दीपक',
धर्मलाभ !
परमात्मा की असीम कृपा से आनन्द है ।
संयम-यात्रा के साथ-साथ विहार-यात्रा भी सानन्द चल रही है। कल ही तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारी जिज्ञासावृत्ति प्रशंसनीय है।
द्रव्य की दृष्टि से प्रत्येक पदार्थ नित्य है। पर्याय की दृष्टि से प्रत्येक पदार्थ अनित्य है। जैनदर्शन में 'प्रात्मपदार्थ भी द्रव्य की दृष्टि से नित्य है और पर्याय की दृष्टि से अनित्य है।
__ जैनदर्शन में 'मृत्यु' का विचार/चिन्तन, कायर/कमजोर बनाने के लिए नहीं है। जीवन की अनित्यता/क्षणभंगुरता का विचार भयभीत बनाने के लिए नहीं है। जीवन की अनित्यता का विचार कोई निराशावादी विचारधारा नहीं है।
आत्मा की नित्यता और अनित्यता के विचार के पीछे रहस्य रहा हुआ है।
मृत्यु की मंगल यात्रा-5