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मेरे घाणेन्द्रिय(नाक)की सर्वदा रक्षा करें । ___ॐ श्री सुमतिनाथ स्वामी मेरे वक्षःस्थल की रक्षा करें ।
ॐ ब्लौ श्री पद्मप्रभ स्वामी मेरे कर्णेन्द्रिय (कान) की रक्षा करें ॥४॥
कंठसंधिं तु रक्खउ, ॐ ही श्री क्लो सुपास जिणवरो मे । खधं पुणपाउ मज्झक,
ॐ हीं श्रीं जिणचंदप्पहो ॥५॥
(५) ॐ ही श्री ५३॥ सुपाचનાથ સ્વામી ! મારા કંઠ–ગરદનની રક્ષા
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